गोरखपुर, 4 फरवरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदलाव, नयापन और विकास के लिए सरकार की नीयत को जवावदेह करार दिया है। उन्होंने कहा है कि किसी भी प्रदेश का विकास वहां की सरकार की नीयत पर निर्भर है। सरकार पारदर्शी और ईमानदार होगी तो उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। यदि सरकार भ्रष्ट, बेईमान होगी तो उसके परिणाम भी उसी प्रकार के देखने को मिलेंगे जैसे कि 2017 के पहले उत्तर प्रदेश में देखने को मिलते थे।
सीएम योगी रविवार पूर्वाह्न गोरखपुर में एक मीडिया समूह की तरफ से आयोजित विमर्श कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। नए भारत का नया उत्तर प्रदेश विषयक विमर्श में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 के बाद सरकार की नीयत विकास की रही तो आज उत्तर प्रदेश आर्थिक निवेश का महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी की रैंकिंग 14वें स्थान से दूसरे स्थान पर हो गई है और अब नम्बर वन की लड़ाई है। आबादी में पहले स्थान वाला यह राज्य देश की छठवीं अर्थव्यवस्था था, आज यह नंबर दो की अर्थव्यवस्था हो गया है। अगले पांच सालों में अग्रणी स्थान पर होगा। देश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन बनकर यह प्रदेश अगले तीन वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में अपना योगदान देगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सात साल पहले वाला इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, विकास जनकल्याणकारी योजनाओं के लिहाज से बदहाल राज्य नहीं रह गया है। अब यह हर दूसरे-तीसरे दिन दंगों के लिए जाने जाना वाला, नागरिकों की पहचान का संकट वाला और चौपट उद्योग-कारोबार वाला राज्य भी नहीं है। अब तो यह दंगामुक्त, कानून व्यवस्था का रोल मॉडल, नागरिक पहचान को देश-दुनिया में सम्मान दिलाने वाला और बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर व नीतियों के संगम से निवेश का सर्वोत्तम गंतव्य बनकर देश की अर्थव्यवस्था का अग्रणी और ग्रोथ इंजन बनने वाला नए भारत का नया उत्तर प्रदेश है। उन्होंने कहा कि दस वर्ष पूर्व भारत की स्थिति क्या थी, सभी जानते हैं। देश में उपद्रव और असंतोष के हालात थे। दुनिया में भारत की इज्जत नहीं थी। लोग संदेह की निगाहों से भारत को देखते थे। भारत के पासपोर्ट की कोई कीमत नहीं थी। भारत की सीमाएं सुरक्षित नहीं थीं। पूर्व की स्थिति बताने के बाद सीएम योगी ने बीते दस सालों में आए बदलाव का उल्लेख किया। बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दस वर्ष के अंदर भारत ने हर एक क्षेत्र में नई प्रगति की है। दुनिया मे नई पहचान बनाई है। नए भारत का दुनिया में गौरव बढ़ा है। दुनिया में भारत के पासपोर्ट की कीमत बढ़ी है।
यूपी के युवाओं के सामने था पहचान का संकट
मुख्यमंत्री ने बताया कि ऐसा ही नयापन पिछले सात वर्ष के अंदर उत्तर प्रदेश के बारे में भी सबको देखने को मिला होगा। जबकि आज से सात वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के लोग बाहर जाते थे लोग बड़ी संदेह की नजर से देखते थे। कुछ जनपदों के तो नाम पर लोग होटल और धर्मशाला में कमरा भी नहीं देते थे। युवाओं के सामने पहचान का संकट था। उन्होंने पहचान के इस संकट का कारण भी समझाया और कहा कि प्रदेश में दूसरे-तीसरे दिन दंगे होते थे। व्यापार चौपट था। उद्यम बंद हो रहे थे। विकास तार-तार था। मुख्यमंत्री ने बताया कि जब 2017 में उन्होंने सरकार बनाई तो प्रदेश में वेतन देने के लिए पैसा नहीं था। तीन-चार जिलों को छोड़कर गोरखपुर समेत बाकी जिलों को चार-पांच घण्टे ही बिजली मिलती थी।
इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर कानून व्यवस्था तक की स्थिति थी खराब
सीएम योगी ने कहा कि पहले प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत कमजोर था। प्रदेश में दो एयरपोर्ट (लखनऊ और वाराणसी) ही क्रियाशील थे। गोरखपुर में एक ही फ्लाइट थी और वह भी कभी-कभी आती थी। इंटरस्टेट कनेक्टिविटी बहुत खराब थी। सुरक्षा की स्थिति बदहाल थी। बेटियां स्कूल नहीं जा पाती थीं, महिलाएं बाजार नहीं जा सकती थीं। जनकल्याण की योजनाओं की हालत खस्ता थी। पर आज सात साल में आए बदलाव का परिणाम यह है कि यूपी का नागरिक देश और दुनिया में कहीं भी जाता है, अगले व्यक्ति के सामने उत्तर प्रदेश के नाम पर चेहरे पर चमक देखने को मिलती है। यूपी को अब हेय दृष्टि से नहीं बल्कि नई पहचान और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। डबल इंजन सरकार के प्रयास से उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है।
आज यूपी का इंफ्रास्ट्रक्चर देश में सबसे अच्छा
मुख्यमंत्री ने बदलाव के आयामों से उत्तर प्रदेश को नयापन देने वाले बिंदुओं को भी सिलसिलेवार गिनाया। बताया कि आज उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर को देश में सबसे अच्छा माना जा रहा है। एक्सप्रेसवेज का सबसे अच्छा संजाल आज यूपी में है। एयर कनेक्टिविटी में भी यह तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज के समय में प्रदेश में चार इंटरनेशनल समेत नौ एयरपोर्ट क्रियाशील हैं। कुछ ही महीनों में दस नए एयरपोर्ट क्रियाशील हो जाएंगे। जेवर में पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर एशिया का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है। यहां फरवरी में ट्रायल रन शुरू किया जाएगा। लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर और अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट चालू हो चुके हैं। इंटरस्टेट रोड कनेक्टिविटी शानदार हुई है। नेपाल, बिहार, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली तक यूपी की सुदृढ़ कनेक्टिविटी है। एक दौर तक एनसीआर में गुड़गांव का इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा माना जाता था। जबकि आज नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद का इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे बेहतरीन माना जाता है।
नया उत्तर प्रदेश बनाने में कानून व्यवस्था की मजबूती का बड़ा योगदान
यूपी को नए भारत का नया उत्तर प्रदेश बनाने में यहां कानून व्यवस्था के क्षेत्र में आई मजबूती का बड़ा योगदान है। विमर्श में इसकी चर्चा भी लाजिमी थी। सीएम योगी ने इस पहलू को भी तथ्यों के साथ समझाया। बताया कि आज उत्तर प्रदेश एक सुरक्षित प्रदेश की पहचान रखता है। यहां दंगामुक्त और सुरक्षा का बेहतरीन मॉडल दिया गया है। सात वर्षों में यहां कोई भी दंगा नहीं हुआ है। एक दो साल में यहां लोग दंगों का नाम भी भूल जाएंगे। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश पूरे देश में नम्बर वन है। टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल से पुलिस अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर किया गया है तो साथ ही भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है।
इसी माह धरातल पर उतारेंगे दस लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव
सुरक्षा को विकास, निवेश और रोजगार के लिए अनिवार्य शर्त बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश मेंजब व्यक्ति स्वयं सुरक्षित नहीं तो उसकी पूंजी कैसे सुरक्षित रहती। वर्ष 2017 के पहले का तो यही माहौल था। 2017 में सरकार बनाने के बाद इनवेस्टर्स समिट में निवेश जुटाने में अधिकारियों को दिक्कत आ रही थी जबकि सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ कर फरवरी 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ तो प्रदेश को चालीस लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले। इससे 1.10 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलने की गारंटी है। इसी माह ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी कर दस लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारा जाएगा। सीएम योगी ने बताया कि 2017 के पूर्व यूपी में बेरोजगारी की दर 19 प्रतिशत से अधिक थी, आज वह घटकर दो प्रतिशत रह गई है। युवाओं को रोजगार मिला है, वे स्वावलंबी बन रहे हैं, उनकी पहचान का संकट दूर हुआ है।
कनेक्टिविटी हुई शानदार, टेक्नोलॉजी और रिफॉर्म से निवेश का बढ़ा आकर्षण
निवेश और रोजगार सृजन का यह द्वार कैसे खुला और आगे बढ़ा, सीएम ने इसकी चर्चा भी की। उन्होंने बताया कि निवेश को बढ़ावा देने के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया, सेक्टरवार नीतियां बनाई गईं, रिफॉर्म कर नौकरशाही की जकड़न से मुक्ति दिलाई गई। निवेशकों के आवेदन से लेकर उन्हें स्वीकृति देने और इंसेंटिव वितरण के लिए निवेश मित्र जैसे ऑनलाइन पोर्टल बनाए गए। इन सबकी मॉनिटरिंग के लिए सौ युवाओं को जोड़कर उनसे फीडबैक व रिपोर्ट लेने की व्यवस्था बनाई गई। इन सबका परिणाम है कि हर बड़ा निवेशक यूपी आना चाहता है। निवेशकों को आकर्षित करने में सड़क, रेल व हवाई कनेक्टिविटी के नेटवर्क ने भी बड़ी भूमिका निभाई। लैंडलॉक्ड माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी के मार्गदर्शन में इनलैंड वाटर वे भी शुरू कर दिया गया। हल्दिया-वाराणसी के बाद इसे अयोध्या तक लाने का प्रयास किया जा रहा है। जलमार्ग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में इनलैंड वाटर वे ऑथोरिटी का गठन भी कर दिया गया है।
अयोध्या में हुई राष्ट्रीय गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा
आज के दौर में नए भारत के उत्तर प्रदेश की चर्चा अयोध्या में 22 जनवरी को हुए भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का उल्लेख किए बिना अधूरी ही रहेगी। जागरण विमर्श में मुख्यमंत्री ने भी इससे जुड़े अपने हृदय के भावों को विस्तार से रखा। भाव विह्वल अंदाज में उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को दुनिया ने नए भारत का दर्शन किया, सांस्कृतिक विरासत पर गौरव की अनुभूति की। पांच शताब्दी के लंबे अंतराल के बाद श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह दुनिया के सफलतम आयोजनों में से एक है। हर भारतीय वीडियो के जरिये बार बार उस दृश्य का अवलोकन कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि के लिए राजाओं ने, साधु संतों ने, नागाओं ने, निहंगों ने, महिलाओं नर, युवाओं ने, समाज के हर तबके ने संघर्ष किया। 76 बड़े युद्ध हुए। तीन लाख रम्भ8बलिदान हुए। 1984 में अंतिम अभियान की शुरुआत हुई जिसकी सुखद परिणति 22 जनवरी को देखने को मिली। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि 1984 में शुरू निर्णायक अभियान का नेतृत्व मेरे गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ ने किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा केवल आयोजन नहीं था बल्कि यह भारत के गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा का भी अवसर था। आजादी के पहले ही राजनीतिक इकाइयां भले ही अलग रही हों लेकिन उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक सांस्कृतिक इकाई एक ही रही। इसी आधार पर आदिशंकराचार्य ने केरल से निकलकर देश के चार कोनों में पीठ स्थापित किए। यह भारत की सांस्कृतिक एकता ही है कि उत्तर में गंगोत्री से जल लेकर के कोई शिव भक्त जब निकलता है तो सुदूर दक्षिण में उस जल का इंतजार रामेश्वरम को रहता है। और, रामेश्वरम में भी जल लेकर कोई श्रद्धालु जब चलता है तो जल का इंतजार केदारपुरी में होता है।
भगवान को जन्मभूमि का प्रमाण देने को लड़नी पड़ी लड़ाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि को लेकर लड़ाई कई स्तर पर लड़ी गई। यह दुनिया का पहला ऐसा आंदोलन था जब भारत की आत्मा के रूप में जाने जाने वाले श्रीराम को अपनी जन्मभूमि के लिए प्रमाण जुटाने पड़े थे। इसके लिए हर प्रकार की लड़ाई लड़ी गई और ‘सत्यमेव जयते’ का भारत का उद्घोष सार्थक हुआ।