लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या को विश्व की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी बनाना चाहते हैं। उनकी यह सोच देश दुनियां में श्री राम की स्वीकार्यता के अनुरूप ही है। इसी अनुसार अयोध्या को सजाने सवारनें का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है।
अयोध्या को सर्च करने वालों की संख्या में 1000% की वृद्धि
पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर अयोध्या को सर्च करने वालों की संख्या में करीब एक हजार फीसद वृद्धि हुई है। ये आंकड़े हास्पिटिलिटी और इससे सेक्टर्स में उम्मीद जगाते हैं। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का अनुमान है कि आने वाले कुछ वर्षों में अयोध्या रोज आने वाले पर्यटकों / श्रद्धालुओं के हिसाब से पहले नंबर पर होगी। फिलहाल देश के सबसे संपन्न मंदिरों में शुमार तिरुपति बालाजी इस मामले में पहले पायदान पर है। वहां हर रोज अमूमन 50 हजार पर्यटक/श्रद्धालु आते हैं। किसी खास अवसर या छुट्टियों के दिन यह संख्या एक लाख के करीब पहुंच जाती है। इंडस्ट्री में बूम का लाभ अयोध्या के साथ लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर को भी होगा।
सात साल पहले हर साल दो लाख लोग अयोध्या आते थे ,अब दो करोड़
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने। अयोध्या के विकास पर निजी तौर पर उनका खास फोकस होने और दीपोत्सव जैसे आयोजन से देश दुनियां का ध्यान आकर्षित करने की वजह से वहां आने वाले पर्यटकों/श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ी है। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2017 तक हर साल अमूमन अयोध्या में दो लाख पर्यटक/श्रद्धालु आते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर दो करोड़ तक पहुंच गई। अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों तक हर साल इंडस्ट्री में 20000 से 25000 लोगों को रोजगार मिलेगा।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद रोज आ सकते हैं दो लाख लोग
उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम के अनुसार 2030 तक प्रति दिन अयोध्या में करीब तीन लाख पर्यटक/श्रद्धालु आएंगे। होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का अनुमान है कि प्राण प्रतिष्ठा (22 जनवरी) के बाद के कुछ हफ्तों तक तो यह संख्या तीन से छह, सात लाख तक रह सकती है।
आने वालों में से जो रुकना चाहेंगे उनके लिए अयोध्या में उनकी क्रय शक्ति के अनुसार होटल, मोटल, रेस्टोरेंट और ट्रांसपोर्ट की सुविधा की भी जरूरत होगी।
इंडस्ट्री से जुड़े सभी ब्रांडों की अयोध्या में रुचि
फिलहाल होटल इंडस्ट्री से जुड़े लगभग सभी ब्रांड्स ने अयोध्या में रुचि दिखाई है। अधिकांश ने जमीनें भी ले लीं। कुछ का निर्माण कार्य हो रहा है। बाकी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। वह प्राण प्रतिष्ठा के बाद वहां आने वाले पर्यटको/श्रद्धालुओ की संख्या उनकी क्रय क्षमता देख कर अपनी प्रापर्टी के स्वरूप के बारे में निर्णय करेंगे।
इंडस्ट्री के लिए कुछ और छूट देने का विचार कर रही सरकार
प्रदेश में इस सेक्टर के निवेशकों को आकर्षित करने के लिए योगी सरकार अयोध्या, लखनऊ, वाराणसी सहित प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में होटल्स के निर्माण में कुछ और छूट देने की भी सोच रही है। इस बाबत एक सात सदस्यीय कमेटी भी गठित की जा चुकी है। कमेटी बिल्डर्स बाइलाज संबंधी कुछ जटिलताओं को दूर करने का सुझाव दे सकती है। इन जटिलताओं की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद संज्ञान लेकर पहल की थी। उम्मीद है कि समिति नक्शे के शुल्क में कटौती, निर्माण के लिए जमीन और सड़क की चौड़ाई का मानक कम करने आदि के बारे में सुझाव दे सकती है।
क्या कहते हैं इंडस्ट्री के लोग
आईटीसी मौर्या नई दिल्ली में वैंक्वेट मैनेजर रहे भव्य मल्होत्रा के मुताबिक प्रति कमरा, तीन सर्विस प्रोवाइडर किसी होटल के लिए आदर्श स्थित होती है। इसमें फ्रंट ऑफिस, हाउस कीपिंग, फूड एंड बेवरेज, लाउंड्री, फाइनेंस, एचआर, हॉर्टिकल्चर, सेल्स आदि विभाग होते हैं। अगर प्रॉपर्टी छोटी है तो कुछ विभाग न होने से सर्विस प्रोवाइडर्स की संख्या कुछ कम हो सकती है, पर प्रति कमरा दो कर्मचारी तो होने ही चाहिए। इससे कम होने पर आप अपने ग्राहकों को संतोषजनक सेवा नहीं दे पाएंगे। पर्यटकों/ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने का लाभ होटल इंडस्ट्री के अलावा इससे जुड़े एविएशन, रेलवे, सड़क परिवहन निगम और लॉजिस्टिक्स से जुड़े सेक्टर्स को भी होगा। मसलन सबके राम की अयोध्या में सबके लिए कुछ न कुछ होगा।