चाबहार बंदरगाह से लेकर समुद्र में व्यावसायिक जहाजों पर बढ़ रहा खतरा

( शाश्वत तिवारी): ईरान की दो दिवसीय यात्रा पर राजधानी तेहरान पहुंचे विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपने समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ द्विपक्षीय बैठक में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने रणनीतिक रूप से अहम चाबहार बंदरगाह से लेकर समुद्र में व्यावसायिक जहाजों पर बढ़ रहे खतरों पर बातचीत की। बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास की समीक्षा की और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के मुद्दे पर भी विचार साझा किए।

अब्दुल्लाहियन के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा हमारी द्विपक्षीय चर्चा चाबहार बंदरगाह और आईएनएसटीसी कनेक्टिविटी परियोजना में भारत की भागीदारी के लिए दीर्घकालिक ढांचे पर केंद्रित रही। साथ ही क्षेत्र में समुद्री नौवहन के खतरों के बारे में भी बात की। एजेंडे में अन्य मुद्दे गाजा स्थिति, अफगानिस्तान, यूक्रेन और ब्रिक्स सहयोग थे।इसके अलावा विदेश मंत्री ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी से मुलाकात की और उन्हें ईरानी मंत्रियों के साथ अपनी सार्थक चर्चाओं से अवगत कराया। जयशंकर ने ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश से मुलाकात की और चाबहार बंदरगाह पर दीर्घकालिक सहयोग ढांचा स्थापित करने पर विस्तृत और सार्थक चर्चा की।

जयशंकर ने कहा भारत और ईरान पश्चिम एशिया की हाल की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं और हमने क्षेत्र में हिंसा और शत्रुता को और बढ़ने से रोकने के महत्व पर जोर दिया है। हमारे बीच गाजा की बेहद चिंताजनक स्थिति पर भी चर्चा हुई। भारत के आसपास व्यावसायिक जहाजों पर हमले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बताते हुए जयशंकर ने कहा कि यह भयानक स्थिति किसी भी देश के हित में नहीं है और इस संकट को शीघ्रता से दूर किया जाना चाहिए। इस दौरान फारसी भाषा को भारत की नई शिक्षा नीति में नौ शास्‍त्रीय भाषाओं में से एक के रूप में शामिल करने की भी घोषणा की गई।

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