डबल इंजन की ताकत का जीता जागता उदाहरण है अयोध्या का इंटरनेशनल एयरपोर्ट

लखनऊ, 4 जनवरी। अगर आपको हाल-फिलहाल में डबल इंजन सरकार की ताकत का प्रत्यक्ष और सबसे शानदार प्रमाण देखना है तो नि:संदेह अयोध्या में संचालित महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बड़ा उदाहरण और कोई नहीं हो सकता। कभी मात्र 178 एकड़ में सिमटे बेहद छोटे से एयरस्ट्रिप को केवल दो साल के भीतर 821 एकड़ के विस्तार में फैले अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के रूप में रूपांतरित किया जा चुका है। केंद्र सरकार की एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से मिले ₹287 करोड़ की धनराशि में प्रदेश की योगी सरकार ने दूसरे इंजन की ताकत लगाते हुए ₹1175.97 करोड़ अतिरिक्त खर्च किये, जिसका शानदार प्रमाण आज पूरी दुनिया के सामने है। अयोध्या में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मोदी के विजन को अक्षरश: धरातल पर उतारने का कार्य शायद डबल इंजन की ताकत के बगैर संभव भी नहीं था।

500 एकड़ निजी भूमि का हुआ निर्विवाद अधिग्रहित

दरअसल, अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट में केंद्र और प्रदेश सरकार की कार्यदायी संस्थाएं शामिल हैं। 2 दिसंबर 2021 से शुरू हुए इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कार्य में पहले दिन से ही दोनों एजेंसिंयों में बेहतर तालमेल का नतीजा रहा कि इतना बड़ा एयरपोर्ट मात्र दो साल में बनकर तैयार हो सका। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से पेचमेंट ग्रेडिंग और ईपीसी मोड में डिजाइन एंड बिल्ड बेसिस पर 191 करोड़ रुपए तथा कंस्ट्रक्शन ऑफ प्री इंजीनियर्ड बिल्डिंग के लिए 96 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की गई। वहीं सबसे बड़ी चुनौती थी भूमि उपलब्ध कराना। योगी सरकार ने यहां अपनी दूरदर्शिता से तकरीबन 500 एकड़ भूमि को निर्विवाद अधिग्रहित करते हुए एक बड़ी मिसाल कायम कर दी।

तय समय में भूमि को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सौंपा गया

बता दें कि 821 एकड़ क्षेत्रफल की इस परियोजना में नागरिक उड्डयन विभाग के नाम पहले से 182 एकड़ भूमि दर्ज थी, जिसमें अतिरिक्त 639 एकड़ भूमि को शामिल किया जाना था। इस अतिरिक्त भूमि में प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों और संस्थाओं की शासकीय भूमि 139 एकड़ भी थी। इसमें अवध विश्वविद्यालय की 23 एकड़, शिक्षा विभाग की 25 एकड़, ग्राम समाज की 90 एकड़ व सिंचाई विभाग की भूमि 0.0593 एकड़ जमीन के अलावा सबसे चुनौतीपूर्ण निजी भूमि थी, जोकि 499.68 एकड़ क्षेत्रफल में फैली थी। प्रदेश सरकार के अधिकारियों और यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से बातचीत के बाद आपसी सहमति के आधार पर आखिरकार निजी भूमियों को ना सिर्फ निर्विघ्न क्रय किया, बल्कि तय समय में भूमि को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सौंप भी दिया।

केवल डबल इंजन की सरकार की ताकत से ही संभव था

चुनौतियां केवल इतनी ही नहीं थीं, पूरे क्षेत्र में फैले एलटी और एचटी विद्युत लाइनों और पोल को रनवे एक्सटेंशन क्षेत्रों से स्थानांतरित करना, अवध विश्वविद्यालय के क्वार्टर और संकाय भवन को हटाना, फनल एरिया से 132 केवी एचटी ट्रांसमिशन लाइन को हटाना, एयरपोर्ट के अंदर स्थित पुलिस चौकी को आपरेशनल एरिया से बाहर करना, लोक निर्माण विभाग के हैंगर तथा जनरेटर रूम को हटाना, 33 केवी, 11 केवी की विद्युत लाइनों को शिफ्ट करना। प्रकाश की समुचित व्यवस्था, फायर स्टेशन, स्टार्म वाटर ड्रेन, रनवे का 1500 मीटर से बढ़ाकर 2200 मीटर चौड़ीकरण एवं री-कार्पेंटिंग, 310 मीटर लंबे टैक्सी ट्रैक का निर्माण, विमानों के लिए एप्रन, आइसोलेशन वे, टैक्सी वे स्ट्रिप, रनवे टर्न पैड, क्रैश गेट आदि का निर्माण, टर्मिनल बिल्डिंग को एक स्ट्रेच पर विकसित करना। 6000 वर्ग मीटर क्षेत्र में प्री इंजीनियर्ड, प्री फैब स्ट्रक्चर के साथ कॉमन कॉनकोर्स, चेकइन एरिया, सिक्योरिटी होल्ड एरिया, बैगेज कलेक्शन, इलेक्ट्रिकल वर्क्स, एयरपोर्ट सिस्टम की स्थापना, आईटी सिस्टम और बागवानी जैसे सभी कार्यों का तय समय में पूरा होना केवल डबल इंजन की सरकार की ताकत से ही संभव था।

दूसरे फेज का विमानतल भी 5 लाख स्क्वाएर फुट का होगा

प्रभु श्रीराम की पावन अयोध्या नये भारत की नई अयोध्या बनने की ओर अग्रसर है। अयोध्या की देश और दुनिया के साथ कैसी कनेक्टिविटी होनी चाहिए, इसे लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच बेहतर समन्व्य का परिणाम महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। अयोध्या को उसका खोया हुआ गौरव पुन: प्रदान करने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार पूरी गंभीरता के साथ प्रयास कर रही है। एयरपोर्ट के पहले चरण का कार्य पूरा हो चुका है। जिसमें 65 हजार वर्ग फुट का हवाईतल बन चुका है, जिसकी क्षमता प्रतिघंटे 2 से 3 फ्लाइट की है। यहां 2200 मीटर के रनवे पर ना सिर्फ छोटे विमान बल्कि बोइंग 737, एयरबस 319 और एयरबस 320 जैसे बड़े विमान भी लैंड कर सकते हैं। शुरुआत में यहां 8 एप्रन बनाए गये हैं। वहीं द्वितीय चरण में रनवे की लंबाई को बढ़ाकर 3700 मीटर किया जाएगा, ताकि बोइंग 787 और बोइंग 777 जैसे सभी अंतरराष्ट्रीय विमान सीधे अयोध्या में लैंड कर सकें। दूसरे फेज का विमानतल भी 5 लाख स्क्वाएर फुट का होगा।

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