लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने में कामयाब रही है। योगी सरकार की मॉनीटरिंग और अनुशासन के चलते 2017 की तुलना में 2022 में इसमें 65.65 प्रतिशत तक की कमी आई है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष हुए प्रस्तुतिकरण में इसकी जानकारी दी गई है। इसमें प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेड्यूज (सीआरएम) योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022 में फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाओं का विवरण प्रस्तुत किया गया। इसके अनुसार गत वर्ष (2022) में फसल अवशेष जलने की कुल 3017 घटनाएं हुईं, जो 2017 के 8784 की तुलना में 65 प्रतिशत रही।
जागरूकता पर जोर
फसल अवशेष (पराली) जलाए जाने से रोकने के लिए मुख्य सचिव ने निर्देशित किया है। कृषि विभाग को निर्देश दिया है की आईईसी कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार एवं जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
प्रिन्ट मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाए। जनपद स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, राज्य स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, न्याय पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम का संचालन हो। ग्राम स्तरीय किसान पाठशालाओं के माध्यम से पराली प्रबंधन हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हो। रेडियो पर जिंगल्स, टीवी पर ऑडियो-विज़ुअल क्लिप,टीवी पर स्क्रॉल संदेश का प्रसारण किया जाए। इसके अलावा कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम पम्पलेट का वितरण, कृषि यन्त्रों का प्रदर्शन किया जाए। वाहन के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में वाल राइटिंग और वाल पेन्टिंग के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जाए। फसल अवशेष प्रबन्धन के एकल कृषि यन्त्र एवं फार्म मशीनरी बैंक के अन्तर्गत फसल अवशेष प्रबन्धन वाले कृषियन्त्रोें का वितरण किया जाए।
नोडल अधिकारियों की हो तैनाती
ग्राम, न्याय पंचायत, विकास खण्ड, तहसील, जनपद स्तरीय टीम का गठन किया जाए। ग्राम पंचायत जागरूकता बैठक आयोजित हो। ग्राम पंचायतोें में प्रभात फेरी, ग्राम प्रधान सम्मेलन हों। विकासखंड स्तर पर प्राइमरी, जूनियर हाईस्कूल, इन्टर एवं डिग्री कालेज में छात्र सभाएं आयोजित की जाएं। साथ ही निबन्ध,चित्रकला प्रतियोगिताओं का संचालन हो। जनपद स्तर पर गन्ना, बेसिक शिक्षा, राजस्व, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, स्थानीय निकाय, पुलिस एवं परिवहन, कृषि इत्यादि विभाग के अधिकारियों में समन्वय कर के प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए।