लौह पुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल जहां गुजरात में भाजपा के काम आएंगे,

नेताजी सुभाष चंद्र बोस और डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ-साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल और दीनबंधु सर छोटू राम भाजपा के टाप एजेंडे पर हैं। लौह पुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल जहां गुजरात में भाजपा के काम आएंगे, वहीं दीनबंधु सर छोटू राम हरियाणा के साथ-साथ उसके आसपास के राज्यों राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए तारणहार साबित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हरियाणा दौरे के दौरान जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सर छोटू राम को जिस तरह से महिमा मंडित किया, वह भाजपा के लिए अगले चुनाव में संजीवनी बूटी साबित हो सकता है।

गुजरात में पाटीदार और हरियाणा में जाट आंदोलन से हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश

जाटलैंड रोहतक के गढ़ी सांपला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधे घंटे के भाषण में करीब बीस मिनट सिर्फ दीनबंधु छोटू राम को दिए। सर छोटू राम केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह के नाना थे। उन्हें रहबर-ए-आजम की उपाधि हासिल है। दीनबंधु के गांव सांपला में प्रधानमंत्री ने उनकी जिस 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया है, उतनी ऊंची प्रतिमा आसपास के किसी राज्य में किसी भी महापुरुष की नहीं है। प्रधानमंत्री अब 31 अक्टूबर को गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची 182 मीटर की प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं।

दीनबंधु और सरदार पटेल दोनों की प्रतिमाओं को पदमश्री रामसुतार ने बनाया है। अभी चीन के हेनान में बुद्ध की 153 मीटर ऊंची प्रतिमा सबसे ऊंची है। सरदार पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रतिमा का लोकार्पण करेंगे। इसके निर्माण पर 2989 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह प्रतिमा सरदार सरोवर बांध से एक किलोमीटर दूर नर्मदा नदी में एक छोटे द्वीप संधू बेत पर बनी है।

दलित वोट बैंक के लिहाज से डा. भीमराव आंबेडकर पहले ही भाजपा के एजेंडे में

दरअसल, गुजरात पटेल बाहुल्य इलाका है और हरियाणा को जाट बाहुल्य माना जाता है। गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भाजपा के लिए सिरदर्द बने हुए हैं, जबकि हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन कई बार भाजपा के गले की फांस बन चुका है। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान 32 लोगों की मौत तक हो चुकी है और अरबों रुपये की संपत्ति खाक हो गई।

इसके बावजूद अभी तक जाटों को आरक्षण नहीं मिल पाया है। भाजपा ने हालांकि कभी भी जाटों को आरक्षण देने से मना नहीं किया है, लेकिन जाट नेताओं का मानना है कि जिस तरह के प्रयास चल रहे हैं, उसमें चुनाव से पहले जाट आरक्षण की मांग पूरी होती दिखाई नहीं दे रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह देश के कई हिस्सों में मिशन 2019 की शुरुआत कर चुके हैं। शाह भी तीन दिन तक जाटलैंड रोहतक में डेरा डालकर जा चुके और अब मोदी ने जाटलैंड से ही दीनबंधु सर छोटू राम की प्रतिमा का अनावरण कर जाटों को गले लगाने की पुरजोर कोशिश की है।

डाॅ. भीमराव आंबेडकर के नाम पर भाजपा लगातार आयोजन कर रही है, जबकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति पार्टी पूरी जिम्मेदारी से कार्यक्रमों का आयोजन करती है। ऐसे में माना जा रहा है कि खुले तौर पर जातीय समीकरणों का गुणा भाग करने की बजाय पार्टी ने नई रणनीति से अपने वोट बैंक को साधने की योजना तैयार की है। अगले दिनों में पार्टी मोदी के इसी एजेंडे पर काम करती नजर आए तो इसमें हैरान करने वाली कोई बात नहीं होगी।

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