लखनऊ, 21 अगस्त। श्रीराम जन्मभूमि पर निर्माणाधीन भव्य मंदिर आकार लेने लगा है। वहीं देश के अन्य मंदिरों का कायाकल्प करते हुए उन्हें भव्य स्वरूप प्रदान करने का कार्य भी हो रहा है। वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम हो, उज्जैन का महाकाल मंदिर हो या केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, आस्था और विरासत का सम्मान तो हो ही रहा है, सनातन धर्म के गौरव को पुनर्प्रतिष्ठापित करने का महाअभियान भी इसके जरिए तेज गति से आगे बढ़ रहा है। इसी कड़ी में योगी सरकार देशभर के मंदिरों की गौरवगाधा को प्रदर्शित करने वाला विशाल संग्रहालय बनाने जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर यूपी पर्यटन विभाग इसे लेकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने में जुट गया है। इस मंदिर संग्रहालय का निर्माण प्रभु श्रीराम की नगरी आयोध्या में किया जाना है।
…क्योंकि संस्कृतियों की अभिव्यक्तियां भी हैं भारतीय मंदिर
सनातन धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है। आम धारणा के विपरीत सनातन धर्म किसी एक विशेष संप्रदाय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे संप्रदायों के समुच्चय के रूप में माना जाता है। सनातन धर्म एक व्यापक विचारधारा वाली समझ है। इसमें पूजा, आराधना और अपने ईष्ट से जुड़ने के भी कई मार्ग हैं। भारत के कोने कोने में फैले असंख्य मंदिरों के जरिए सनातन धर्म और इसकी विविधता को सदियों से अभिव्यक्ति मिलती रही है। उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक वास्तुकला की दृष्टि से भारतीय मंदिर बेजोड़ माने जाते हैं। दुनिया भर के विशेषज्ञों ने भारतीय मंदिरों पर अनेक परीक्षण किए और इस विषय पर अध्ययन करते हुए कई शोध साहित्य भी प्रकाशित किये गये हैं। अपने स्थापत्य की भव्यता से परे, भारतीय मंदिर संस्कृति की अभिव्यक्तियां भी हैं। भारतीय संस्कृति की आत्मा का प्रत्येक घटक देश के मंदिरों में मिलता है। भारतीय मंदिरों की इन बहुआयामी सोच को अब योगी सरकार मंदिर संग्रहालय के जरिए दुनिया के सामने लाने जा रही है।
युवा पीढ़ी को मंदिरों की उपयोगिता बताएगी योगी सरकार
अयोध्या में 5 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित मंदिर संग्रहालय को लेकर योगी सरकार की ओर से कदम आगे बढ़ा दिया गया है। भारतीय मंदिरों और शानदार मंदिर वास्तुकला के इस विशिष्ट संग्रहालय का निर्माण करने के पीछे यूपी पर्यटन विभाग का लक्ष्य है कि सनातन संस्कृति को समग्र रूप से परिलक्षित करने वाले मंदिर परिसरों के महत्व से दुनिया परिचित कराया जाए। किसी मंदिर को किसी खास स्थान पर क्यों निर्मित किया गया और उनके निर्माण के पीछे के दर्शन के बारे में खासकर युवा पीढ़ी को अवगत कराने के उद्देश्य से ही अयोध्या में मंदिर संग्रहालय का निर्माण प्रस्तावित है। इसमें प्राचीन भारत की तकनीकी प्रगति, भारतीय मंदिरों को उनकी पूजा-पद्धति से जोड़ते हुए उनके महत्व को सामने लाना, शैक्षणिक संस्थान, जिसमें मठ और पीठम शामिल हैं, इसके अलावा विभिन्न शैलियों में निर्मित मंदिरों के उत्कृष्ट उदाहरणों को प्रदर्शित करना और भारतीय मंदिरों की स्थापत्य विरासत के बारे में दुनिया को बताना शामिल है।
12 दीर्घाओं में दिखेगा मंदिरों के निर्माण के पीछे का संपूर्ण दर्शन
प्रस्तावित संग्रहालय को 12 दीर्घाओं में विभाजित किया जाएगा। ये दीर्घाएं अपनी सहज कलात्मकता से आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देंगी। इसके अलावा ये दीर्घाएं मंदिरों के वैज्ञानिक और दार्शनिक पहलू के साथ ही, गर्व और श्रद्धा की भावना भी जगाएंगी। इन 12 दीर्घाओं में सनातन धर्म में भगवान की अवधारणा, पूजा पद्धति के पीछे छिपा दर्शन, पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों की जरूरत, मंदिरों की वास्तु और शिल्पकला, मंदिरों के कर्मकांड के पीछे का दर्शन, पूजा-अर्चना से आगे भी मंदिरों की सामाजिक उपयोगिता, भारतीय मंदिरों के मूल तत्व, मंदिर निर्माण तकनीक और उच्चकोटि का वैज्ञानिक दृष्टिकोंण, विविध प्रकार के मंदिरों की स्थापत्य कला, भारतीय मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र, भारत भूभाग के विशिष्ट मंदिर और पूरी दुनिया में मौजूद हिन्दू मंदिरों की जानकारी को प्रदर्शित करने वाली दीर्घाओं का निर्माण होगा। मंदिर संग्रहालय में 12 दीर्घाओं के अलावा सुंदर बाग और तालाब, कैफेटेरिया और बेसमेंट पार्किंग की भी सुविधा रहेगी।