काठमांडू। नेपाल में बहुचर्चित एक क्विंटल सोने की तस्करी मामले की जांच अब केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीआईबी) को सौंप दी गई है। प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड ने जांच की जिम्मेवारी सीआईबी को सौंपने का निर्देश दिया है।
सोने की तस्करी में अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं का नाम आने के बाद दबाब में रहे प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने आखिरकार सोने की तस्करी मामले में सीआईबी को जांच की जिम्मेवारी देने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने गृहमंत्री नारायणकाजी श्रेष्ठ, रक्षामंत्री पूर्ण बहादुर खड्का, गृहसचिव दिनेश भट्टराई, नेपाल पुलिस के प्रमुख वसन्त कूंवर, सीआईबी की प्रमुख किरण बज्राचार्य तथा महान्यायाधिवक्ता दिनमणि पोखरेल को बुलाकर इस मामले की जांच तत्काल सीआईबी को सौंपने का निर्देश दिया है।
इस बैठक के बाद उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री नारायणकाजी श्रेष्ठ ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देशन के बाद सोने की तस्करी की जांच आज ही सीआईबी को सौंप दी गई है। इस तस्करी में माओवादी पार्टी के कई बड़े नेताओं की संलग्नता का प्रमाण होने के सवाल पर गृहमंत्री श्रेष्ठ ने कहा कि सोने की तस्करी में चाहे जिस पार्टी के जितने भी बड़े नेता का हाथ हो, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
सोने की तस्करी का मामला सिर्फ राजश्व विभाग से जुड़ा नहीं है बल्कि यह एक बड़ा संगठित अपराध है, जिसका तार चीन से लेकर हांगकांग तक और दुबई होते हुए नेपाल से लेकर भारत तक जुड़ा हुआ है। इस मामले की जांच कर रहे राजश्व अनुसंधान विभाग (डीआरआई) के एक अधिकारी का कहना है जिस फर्जी कंपनी के नाम पर इस बार एक क्विंटल सोना मंगवाया गया था, उस कंपनी के रिकार्ड के मुताबिक सिर्फ जुलाई के ही महीने में 1100 किलो के अधिक का सामान सप्लाई किया गया है। इस कंपनी को चार महीने पहले ही दर्ज करवाया गया था।
इतना ही नहीं, छापेमारी के दौरान विभाग को सोना गलाने की चार बड़ी मशीनें भी बरामद की गईं जबकि नेपाल सरकार के पास खुद की सिर्फ एक ही मशीन है। सोने को रिपैकेजिंग कर भारत भेजने के लिए दो बड़े गोदाम बनाए गए थे। अब तक पकड़े गए आरोपितों के बयान से पता चला कि नेपाल में आने से लेकर भारत भेजने तक के लिए सोने को सुरक्षित रखने हेतु पांच अलग अलग स्थानों पर घर और फ्लैट किराए पर लिये गए थे।