ग्रीन बेल्ट पर न बसने पाए कॉलोनी, महायोजना में करें शामिल: मुख्यमंत्री

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश में संतुलित, समावेशी, सुस्थिर नगरीय विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से विगत 06 वर्ष में उत्तर प्रदेश में विश्वस्तरीय नगरीय अवस्थापना सुविधाओं में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। आरआरटीएस और मेट्रो जैसी अत्याधुनिक नगरीय परिवहन हो या शुद्ध पेयजल, इंटीग्रेटेड टाउनशिप का विकास, एक्सप्रेस-वे की रफ्तार हो या कि कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था हर क्षेत्र में तकनीक की मदद से आम शहरवासी को ‘ईज ऑफ लिविंग’ का अनुभव हो रहा है।  प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप अगर हमें $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करना है तो हमें शहरीकरण को बढ़ाना होगा। आवास विभाग और विकास प्राधिकरणों की भूमिका इसमें बहुत अहम है। निवेश, रोजगार और नवाचार के लिए तकनीक की मदद से विकास प्राधिकरणों को स्वतः स्फूर्त से आगे बढ़ना होगा। नगरों का नियोजन आगामी 50 वर्षों की आवश्यकताओं के दृष्टिगत किया जाना चाहिए, जबकि महायोजना न्यूनतम 20 वर्ष के अवधि की हो।

प्रधिकरणों और नगरीय निकायों में भूमाफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ कठोरतम कार्रवाई का दौर लगातार जारी रहेगा। भूमि सरकारी हो या निजी, अवैध कब्जे की हर शिकायत पर पूरी संवेदनशीलता के साथ त्वरित कार्रवाई होगी। उत्तर प्रदेश में किसी गरीब के घर पर दबंग का कब्जा कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। भूमाफियाओं के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई से जनता में सकारात्मक संदेश गया है। लोगों के मन में शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास का संचार हुआ है। विगत दिनों प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा लूकरगंज में भूमाफिया से मुक्त करायी गयी भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत 78 परिवारों को उनके घर की चाबी सौंपी गई है। यह क्रम सतत जारी रखा जाए। इसी प्रकार, लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा भू-माफिया से मुक्त करायी गयी लगभग 3000 वर्ग मीटर भूमि पर भी गरीबों के लिए आवास तैयार कराएं। यह कार्य प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए।  सभी प्राधिकरण, स्थानीय निकाय यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी किसी भी परिस्थिति में अवैध बस्तियां/रिहायशी कॉलोनी बसने न पाए। हर कॉलोनी में सभी जरूरी सुविधाएं हों।

समाज के हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार है। अंत्योदय के भाव के साथ हमें मलिन बस्तियों के पुनरोद्धार के कार्य को तेज करने की आवश्यकता है। सभी विकास प्राधिकरण बहुमंजिला आवसीय परिसर तैयार करें। मलिन बस्तियों में निवासरत लोगों के लिए यह बड़ा उपहार होगा। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में धर्मनगरी अयोध्या का विकास त्रेतायुगीन वैभव के अनुरूप किया जा रहा है।अयोध्या में पुरातन संस्कृति सभ्यता का संरक्षण के साथ-साथ भविष्य की जरूरतों को देखते हुए आधुनिक पैमाने के अनुसार सभी नगरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार संकल्पित है। प्रधानमंत्री जी की भावनाओं के अनुरूप तैयार अयोध्या के समग्र विकास की हर परियोजना शासन की प्राथमिकता है। विगत 06 वर्षों में प्रदेश में शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। जन अपेक्षाओं के अनुरूप बड़ी संख्या में नए नगरीय निकायों का सृजन किया गया है,साथ ही अनेक नगरीय निकायों का सीमा विस्तार किया गया है। संतुलित, समावेशी और सुस्थिर विकास के दृष्टिगत नगर पालिका/पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत में नियोजित विकास हेतु लोकल प्लानिंग अथॉरिटी का गठन किए जाने की आवश्यकता है। इसी प्रकार, प्रदेश स्तर पर टाउन प्लानिंग निदेशालय का गठन किया जाए। नियोजित विकास को ध्यान में रखते हुए नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम तैयार करें। इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए।

सभी विकास प्राधिकरण और औद्योगिक विकास प्राधिकरण अपनी भूमि का लैंड ऑडिट कराएं तथा लैंड रिकार्ड्स को डिजिटाइज़ किया जाए। ‘लैंड के रिकार्ड्स का स्थल से सत्यापन कराया जाए। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की भांति विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में स्थित ग्राम समाज की भूमि को विकास प्राधिकरणों को दुर्बल/अल्प आय वर्ग के भवनों के निर्माण अथवा जनसुविधाओं के विकास हेतु निःशुल्क हस्तान्तरित किया जाना उचित होगा। इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए।  राजधानी लखनऊ आज मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में अत्याधुनिक नगरीय सुविधाओं से लैस हो रही है। विभिन्न नगरों से लोग यहां आकर अपना स्थायी निवास बनाना चाहते हैं। आस-पास के जिलों में भी जनसंख्या का दवाब बढ़ रहा है और कई बार अनियोजित विकास की शिकायतें भी मिलती हैं। ऐसे में भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर ‘उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र’ का गठन किया जाना है। इससे संबंधित वैधानिक कार्यवाही को तेजी से पूरा किया जाए।

विगत 06 वर्ष में सतत प्रयास से प्रदेश में विश्वस्तरीय आधुनिक नगरीय परिवहन सेवाएं उपलब्ध हुई हैं। आज लखनऊ, कानपुर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद में मेट्रो सेवा संचालित है। दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस, आगरा और कानपुर मेट्रो की निर्माणाधीन परियोजना को तेजी के साथ तय समय-सीमा के भीतर पूरा किया जाए। काशी में कैंट रेलवे स्टेशन से गिरजाघर तक बनने वाला रोप-वे आम जन को एक अनूठी नगरीय परिवहन व्यवस्था से परिचय कराएगा। इस परियोजना को शीर्ष प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया जाए। हर विकास प्राधिकरण में टाउन प्लानर की तैनाती की जाए। योग्य, दक्ष युवाओं का चयन करें, उन्हें प्रशिक्षण दें। आईआईटी अथवा राज्य सरकार तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग लिया जाना चाहिए। जहां कहीं भी ग्रीन बेल्ट है, वहां किसी भी दशा में नई कॉलोनी न बसने पाए। इसे महायोजना में शामिल करें। नई कॉलोनी के विकास के साथ वहां सड़क, सीवर, बिजलीं, पानी जैसी सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता हो।

आज उत्तर प्रदेश बड़े राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी कर रहा है। प्रदेश के हर शहर को ऐसे अवसर मिलें, इसके लिए अवस्थापना सुविधाओं का विकास आवश्यक है। सभी मंडलीय मुख्यालयों पर अंतराष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर विकसित किए जाएं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को $1 ट्रिलियन की बनाने में आवास सेक्टर की बड़ी भूमिका है। हमें आगामी 5 वर्षों में 100 नई टाउनशिप्स विकसित करने का लक्ष्य लेकर कार्य करना होगा। इन टाउनशिप के विकास के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विभिन्न विकासकर्ताओं ने प्रस्ताव दिए हैं। इन्हें समयबद्ध रूप से क्रियाशील किया जाए। भवन का मानचित्र पास कराने, शुल्क जमा करने जैसी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए आम आदमी को परेशान न होना पड़े। इसके लिए विभागीय प्रक्रिया को सरल बनाना होगा। इसमें तकनीक की मदद लें। मानचित्र निस्तारण के लिए हर पखवारे तय दिवस को ‘मानचित्र समाधान दिवस का नियमित आयोजन किया जाए। इस तिथि का प्रचार-प्रसार करें। आमजन को आवेदन प्रस्तुत करने के लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों का विकल्प दिया जाए।

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