लखनऊ (ब्यूरो) : मणिपुर में महिलाओं के साथ जो घटना घटित हुई है वह मानवता को शर्मसार करने वाली हैं। केन्द्र सरकार और मणिपुर सरकार ने इतनी बड़ी मानवीय त्रासदी को मूकदर्शक बनकर होने दिया, जिसने मणिपुर के नाजुक सामाजिक ताने बाने को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। साथ ही मणिपुर हिंसा ने दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों में भी तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है।
मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर आज राष्ट्रीय लोकदल, लखनऊ महानगर अध्यक्ष आशीष तिवारी के साथ जिलाध्यक्ष रफी अहमद सिद्दीकी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय लोकदल नेताओं द्वारा जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित एक ज्ञापन सौंपा गया।
महानगर अध्यक्ष आशीष तिवारी ने कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि मणिपुर में बढ़ रहे संवैधानिक संकट पर संसद के दोनों सदनों में कोई चर्चा नहीं हुई और न ही देश के प्रधानमंत्री ने सदन की कार्यवाही में शामिल होकर अपना वक्तव्य दिया।
ज्ञापन के माध्यम से जिलाध्यक्ष रफी अहमद सिद्दीकी ने मांग की कि मणिपुर में सरकार को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए तथा मा0 सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाए जिससे मणिपुर नरसंहार की निष्पक्ष जांच हो सके, मणिपुर में महिलाओं, आदिवासी, दलितों तथा गरीबों के साथ हो रहे उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगायी जाए तथा मणिपुर हिंसा में मारे गये लोगों के परिजनों को उचित मुआवजा मुहैया कराया जाए।
ज्ञापन सौंपने वालों में मुख्यरूप से कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष आरिफ महमूद, अफसर अली गाजी, अनुपम मिश्रा, रजनीकांत मिश्रा, अम्बुज पटेल, बी0एल0 प्रेमी, रमावती तिवारी, हसीब निजामी, प्रीति श्रीवास्तव, अभिषेक चौहान, अमन पाण्डेय, शफीक सिद्दीकी, हाषिम, सुहेल गाजी, मो0 शकील, रंजीत यादव, रूकमेश, अफजाल अहमद, नौषान खान, धर्मेन्द्र यादव, राजकुमार वर्मा, दुर्गेश चौधरी प्रमुख थे।