संघ के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास पंचतत्व में विलीन

पुणे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। महाराष्ट्र के पुणे स्थित वैकुंठ घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। मदन दास का सोमवार को 81 वर्ष की आयु में कर्नाटक के बेंगलुरु में निधन हो गया था। उनके अधिकांश परिजनों के पुणे में होने की वजह से उनका अंतिम संस्कार पुणे में किया गया।

इसके पहले, सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री अजित पवार समेत कई तमाम नेताओं ने पुणे पहुंच कर मदन दास के अंतिम दर्शन किए और उनको श्रद्धाजंलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, बसवराज बोम्मई, महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, राज्यसभा के पूर्व सदस्य आरके सिन्हा और हिन्दुस्थान समाचार के समूह संपादक रामबहादुर राय भी शामिल थे।

मदन दास उम्रजनित बीमारियों के चलते लंबे समय से बेंगलुरु के राष्ट्रोत्थान अस्पताल में भर्ती थे। संघ के सह सरकार्यवाह सहित कई अहम दायित्व संभाल चुके मदन दास राममंदिर आंदोलन के दौरान कई मुद्दों पर संघ और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच सेतु बने रहे। बाद में भाजपा के सत्ता में आने पर उन्होंने संघ परिवार से वाजपेयी सरकार की विभिन्न मुद्दों पर बनी दूरी को पाटने में अहम भूमिका निभाई।

मदन दास छह दशकों तक संघ के प्रचारक रहे। इस दौरान कई जिम्मेदारियां निभाईं। कठोर अनुशासन उनके व्यक्तित्व की खास पहचान थी। उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा में गोल्ड मेडलिस्ट प्राप्त करने के बावजूद संघ कार्य को महत्व दिया। उन्हीं की अगुवाई में छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। वह 1970 से 1992 तक परिषद के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहे। मदन दास अभाविप से संघ की योजना में जाने वाले पहले प्रचारक थे।

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