नई दिल्ली । देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में मंगलवार को ’72 हूरें’ फिल्म की स्क्रीनिंग की गई। फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन नहीं किया गया। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात किए गए थे।
पुलिस सुरक्षा के बीच फिल्म की स्क्रीनिंग की गई। मंगलवार शाम हुई फिल्म की स्क्रीनिंग हाउसफुल रही। फिल्म ’72 हूरें’ 7 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। रिलीज से पहले 4 जुलाई को जेएनयू में इसकी एक्सक्लूसिव स्पेशल स्क्रीनिंग हुई। फिल्म की स्क्रीनिंग विवेकानंद विचार मंच के सौजन्य से जेएनयू में शाम 4 बजे कन्वेंशन सेंटर के ऑडिटोरियम में हुई। ‘कश्मीर फाइल्स’, इसके बाद ‘केरल स्टोरी’ और अब फिल्म ’72 हूरें’ की काफी चर्चा है। आतंकवाद पर आधारित फिल्म ’72 हूरें’ के मेकर्स ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ट्रेलर रिलीज कर दिया है। यह फिल्म 7 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
फिल्म के ट्रेलर में आतंकियों को ‘हूरों’ का मतलब समझाया जा रहा है। फिल्म में आत्मघाती हमले में मारे गए दो आतंकियों की कहानी है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि ट्रेनिंग के दौरान आतंकियों का ब्रेनवॉश करने के बाद वादा किया जाता है कि तुम्हारे मरने के बाद 72 खूबसूरत हूरें (लड़कियां) जन्नत में मिलेंगी। ट्रेलर में ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पर हुए बम धमाके का सीन है।
मेकर्स का कहना है कि फिल्म सच्ची कहानी पर आधारित है। स्पेशल स्क्रीनिंग पर जेएनयू में ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारे लगाए गए। स्क्रीनिंग शुरू होने से पहले ऑडिटोरियम में ‘जय श्रीराम’ के भी नारे लगाए गए। तो, ‘नंद के आनंद की, जय विवेकानंद की’ और ‘सत्य सनातन धर्म की जय’ जैसे नारे भी छात्रों ने लगाए।
जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आयशी घोष ने फिल्म की स्क्रीनिंग का विरोध करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूनिवर्सिटी के धन का उपयोग आरएसएस समर्थित कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब इस प्रकार से एक खास विचारधारा से जुड़े आयोजन किए जा रहे हैं। इससे पहले गर्भ संस्कार कार्यशाला का आयोजन, ‘केरल स्टोरी’ जैसी प्रोपागेंडा फिल्मों का आयोजन, एक सोचा समझा कदम के तौर पर किया गया है।
जेएनयू के छात्र संघ की अध्यक्ष आयशी घोष ने कहा कि वीएचपी और एबीवीपी विश्वविद्यालय परिसर का भगवाकरण और सांप्रदायिकरण कर रहे हैं। ये संगठन अपने एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक संस्थान का उपयोग कर रहे हैं और कुलपति की चुप्पी उनके आकाओं के प्रति उनकी पूरी निष्ठा को दर्शाती है। विश्वविद्यालय प्रशासन के निष्पक्ष होने का दावा करने वाले कुलपति ने हिंदुत्व संगठनों और उनके आयोजनों के प्रति अपना पूरा पूर्वाग्रह दिखाया है। हम ऐसी भ्रामक घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य किसी विशेष समुदाय को सांप्रदायिक बनाना, अमानवीय बनाना है। हम अपने परिसरों में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए भगवा ब्रिगेड द्वारा किए गए ऐसे प्रयासों का विरोध करेंगे। जेएनयू के कुलपति को यह सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए कि परिसर के भीतर सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली ऐसी घटनाओं से सख्ती से बचा जाए।