पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मिशन लाइफ पर बल देने के साथ 5 जून 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया। लाइफ की अवधारणा, यानी पर्यावरण के लिए जीवन शैली, को प्रधानमंत्री ने सीओपी 26 में ग्लासगो में विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया था, जब उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली और व्यवहारों को अपनाने के लिए एक वैश्विक प्रयास को फिर से जागृत करने का आह्वान किया था।
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत ने वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य के विजन के बीच संतुलन बनाए रखते हुए जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण संरक्षण से निपटने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है और पिछले 9 वर्षों में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, प्राकृतिक खेती के प्रयासों, हरित और स्वच्छ ऊर्जा पर फोकस जैसी विभिन्न पहल शुरू की गई हैं। वैश्विक महामारी के बीच भी भारत ने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखते हुए प्रगति जारी रखी। उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अमृत धरोहर और मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर तटीय निवास तथा वास्तविक आय (मिष्टी) पहल शुरू करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने अमृत धरोहर और मिष्टी के बारे में ‘जन भागीदारी’ के साथ आर्द्रभूमि और मैंग्रोव पुनःस्थापन पर भारत की उपलब्धि की चर्चा की, जो इकोटूरिज्म के केंद्र के रूप में काम कर सकता है और हरित रोजगार भी पैदा कर सकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष जलवायु न्याय के विषय को सफलतापूर्वक कैसे उठाया है। प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के साधन के रूप में लाइफ की प्रासंगिकता और वैश्विक स्तर पर इसके बढ़ते महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि लाइफ एक वैश्विक जन आंदोलन में बदल रहा है। प्रधानमंत्री ने मिशन लाइफ पर जन सक्रियता अभियान का उल्लेख किया, जिसमें एक महीने से भी कम समय में लाइफ पर जन सक्रियता अभियान में 2 करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए थे।
भारत साल 2070 तक ‘पंचामृत’ और नेट जीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प ले चुका है। इससे उद्योग और अर्थव्यवस्था में पर्यावरण संरक्षण पर जोर रहेगा। इस बजट ने ग्रीन ग्रोथ के बारे में हमारे संकल्प को मजबूत किया है। बजट 2023-24 में एनर्जी ट्रांजिशन और नेट जीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य हासिल करने के लिए 35000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम आवंटन किया गया है। इसके अलावा हाल में नैशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन लॉन्च किया गया था। इसका मकसद देश में ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देना है। आम बजट में इस मिशन के लिए 19 हजार 700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इससे इकॉनमी को कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद मिलेगी। क्रूड ऑयल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता घटेगी।
वित्त मंत्री ने हरित विकास के विषय का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत में हरित ईंधन, हरित ऊर्जा, हरित कृषि, हरित गतिशीलता, हरित भवनों, हरित उपकरणों के लिए अनेक कार्यक्रमों को लागू किया जा रहा है, और इसके साथ ही विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में ऊर्जा के प्रभावकारी उपयोग के लिए नीतियां लागू की जा रही हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि हरित विकास से जुड़े इन प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने में काफी मदद मिलती है और इसके साथ ही बड़ी संख्या में हरित रोजगार अवसर उपलब्ध होते हैं। भारतीय वित्त मंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री ने पर्यावरण के प्रति सजग जीवन शैली के आंदोलन को गति देने के लिए “लाइफ” अथवा पर्यावरण के लिए जीवन-शैली की संकल्पना प्रस्तुत की है।
भारत हरित उद्योग और आर्थिक परिवर्तन को लाने के लिए वर्ष 2070 तक ‘पंचामृत’ तथा निवल-शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है। यह बजट हरित विकास पर दिए गए हमारे विशेष ध्यान पर आधारित है। भारत ने हरित विकास पर ध्यान देने के लिए बजट में खासतौर पर प्रावधान किए हैं। इसी कड़ी में 19,700 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किए गए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की मदद से अर्थव्यवस्था को निम्न कार्बन सघनता वाली स्थिति में ले जाने, जीवाश्म ईंधन के आयातों पर निर्भरता को कम करने तथा भारत को इस उदीयमान क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और बाजार में अग्रणी बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। हमारा लक्ष्य है वर्ष 2030 तक 5 एमएमटी का वार्षिक उत्पादन हासिल करना।
इस बजट में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ऊर्जा-परिवर्तन तथा निवल-शून्य उद्देश्यों और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में प्राथमिकता प्राप्त पूंजीगत निवेशों के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को धारणीय विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए 4,000 एमडब्ल्यूएच की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को व्यवहार्यता अंतर निधियन के माध्यम से सहायता दी जाएगी। पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक विस्तृत कार्य ढांचा भी तैयार किया जाएगा। केंद्र सरकार ने देश के पर्यावरण और पारितंत्र को बचाने के लिए हरित निवेश ( green investment) या हरित बजट की कोई योजना बनाने पर बल दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि वो पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है और उसने ग्रीन बजट का भी आवंटन कर रखा है ।
तटीय क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप से समुद्री जैव विविधता प्रभावित :
हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण रिपोर्ट भी जारी किया है। भारत के कैग का कहना है कि भारत के पूरे तटीय क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकायों में सीवेज ट्रीटमेंट फेसिलिटी के अभाव के चलते समुद्री क्षेत्र में समुद्री जीव जंतुओं के लिए ऑक्सीजन का क्षरण एक गंभीर चुनौती बन गया है। कैग ने यह भी कहा है कि समुद्री खाद्य जाल और खाद्य श्रृंखला में विषाक्त तत्वों की मात्रा बढ़ने के चलते मानव जीवन भी खतरे में पड़ गया है। कैग ने कहा है कि कोस्टल रेगुलेशन जोन अधिसूचना 2011 तटीय जल में अपशिष्ट पदार्थों और औद्योगिक अपशिष्ट को डालने पर प्रतिबंध लगाता है और अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि जनवरी 2013 तक अनउपचारित अपशिष्ट और औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ को तटीय क्षेत्रों में प्रवाहित करने की परंपरा बंद होनी चाहिए। कैग ने इस बात की भी आवश्यकता महसूस की है तटीय क्षेत्रों और जल में प्रदूषण से निपटने के लिए एक एक्शन प्लान होना चाहिए जो समयबद्ध तरीके से बने और उसे प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहायता के लिए भारत के पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाय। लेकिन यदि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मार्च 2021 की रिपोर्ट ” नैशनल इन्वेंट्री ऑफ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स ” में कहा गया है कि गुजरात में सीवेज उत्पादन 5,013 मिलियन लीटर प्रति दिन अनुमानित है जबकि कुल ट्रीटमेंट कैपैसिटी ( प्रस्तावित सहित) 3,378 मिलियन लीटर प्रति दिन अनुमानित है। इस अंतर को भरने की रणनीति पर काम करके ही समुद्री पर्यावरण को बचाया जा सकता है।