लखनऊ। बढ़ती गर्मी के साथ ही अघोषित बिजली कटौती से पूरे प्रदेश में लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। बिजली विभाग गांवों में 18 घंटे बिजली सप्लाई का दावा कर रहा है, लेकिन कहीं भी आठ से 10 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं रह रही है। विभागीय अधिकारी की मानें तो प्रतिदिन आठ सौ से ज्यादा ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं, जिससे ठीक करना बिजली विभाग के लिए चुनौती बन गया है।
उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती से लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। राजधानी लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, बरेली, आगरा, मेरठ समेत सभी शहरों एवं गांवों में पर्याप्त बिजली कटौती हो रही है, लोग खासा परेशान हैं, गर्मी से लोग बेहाल हैं। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री की भी बेचैनी बढ़ गई है। बिजली आपूर्ति करने में मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा अपने आप को असफल मान रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बिजली की वर्तमान व्यवस्था से खासा नराज हैं, इसे लेकर वह अधिकारियों को कड़ा निर्देश भी दे रहे हैं।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली की परेशानी क्षमता से कम ट्रांसमिशन का होना है। यदि बिजली सप्लाई ठीक करनी है तो विभाग को पहले ट्रांसमिशन क्षमता बढ़ाने के साथ ही अपना जीवन समाप्त कर चुके ट्रांसफार्मरों को सिस्टम से हटाना होगा, वरना आने वाले समय में दिक्कत और ज्यादा बढ़ा सकती है।
उन्होंने बताया कि चार बार रिपेयरिंग के बाद ट्रांसफार्मर काम लायक नहीं रह जाते, लेकिन यहां आठ से दस बार रिपेयरिंग के बाद भी उन्हीं ट्रांसफार्मरों को रिपेयर कर चलाया जा रहा है। इस कारण वे आये दिन फूंक जाते हैं।
वहीं गांवों में लटकते तार, खंभों की जर्जर हालत भी स्थिति को दयनीय बना रहा है। इसका समय रहते रिपेयर न किया जाना भी परेशानी का कारण बन रहा है। वहीं इस वर्तमान परिस्थिति को लेकर विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फुल रहे हैं। स्थिति यह है कि यदि बिजली की मांग 28000 मेगावाट के पार पहुंची तो पूरी व्यवस्था चरमरा जाएगी। विभाग के पास उस क्षमता के ट्रांसमिशन ही नहीं हैं, इससे पिक आवर में भी शहरों में भी बिजली कटौती करना विभाग की मजबूरी बन जाएगी।