राघवेन्द्र प्रताप सिंह : भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने “ब्लू हाइड्रोजन – ऊर्जा सुरक्षा और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था” पर संगोष्ठी आयोजित की है। संगोष्ठी में मुख्य संबोधन देते हुए भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के सचिव ने कहा कि, “देश में कोयले की प्रचुर उपलब्धता है, ऐसे में कोयले के विविध उपयोगों पर कदम उठाने का वक्त आ गया है ताकि सरकार के डीकार्बोनाइजिंग मिशन को समर्थन दिया जा सके और देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”
उन्होंने कहा कि कोयले से हाइड्रोजन के लिए उपलब्ध तकनीकों, लागत प्रतिस्पर्धा, वैश्विक अनुभव और आगे की रणनीति पर इस सत्र में विचार-विमर्श होना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का समर्थन करने के लिए कोयला क्षेत्र में एक्शन लेने योग्य बिंदुओं की पहचान करने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा गठित समिति की सिफारिशों पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। उन्होंने गैसीकरण को बढ़ावा देने के लिए इस विषय पर नियमित रूप से विचार-विमर्श करने के लिए सभी विशेषज्ञों के साथ मंत्रालय में एक सलाहकार समिति गठित करने की भी सलाह दी।
इस समिति के अध्यक्ष और कोल इंडिया के निदेशक (बीडी) श्री देबाशीष नंदा ने देश में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं का व्यापक विश्लेषण देने वाली ग्रीन हाइड्रोजन मिशन पर इस समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम में नीति आयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, उर्वरक विभाग, इस्पात मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, आईआईसीटी हैदराबाद, सीआईएल के अधिकारियों के अलावा सीएसआईआर, सीएमपीडीआई, डब्ल्यूसीएल, एसईसीएल, एमसीएल, ईआईएल, पीडीआईएल, भेल, एससीसीएल, एनएलसीआईएल, सेल, आरआईएल, टाटा स्टील, जेएसपीएल, देव एनर्जी, सीजीएआई, कैपसेक और पीएसयू वॉच के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) टेक्नोलॉजी जो कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है उसके विकास से संबंधित चर्चा भी की गई और टिकाऊ प्रथाओं के महत्व पर जोर दिया गया। कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एम. नागराजू ने अपने स्वागत भाषण में देश की ऊर्जा मांगों को स्थायी रूप से पूरा करने के लिए कोयला गैसीकरण को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय द्वारा की गई नीतिगत पहलों के बारे में बताया।