इन दोनों टीमों की जीत में खास बात ये थी कि दोनों ही टीमों के कप्तान किसान परिवार से आते है। इसमें पुरुष वर्ग की विजेता भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र के कप्तान श्रीधर श्रीकांत निगड़े और महिला वर्ग की विजेता केआईआईटी यूनिवर्सिटी ओडिशा की कप्तान डुमिनी मारिंडी ने जब रग्बी में कॅरियर बनाने की शुरुआत की थी तो इनके सामने कई चुनौतियां सामने आई थी। हालांकि आज दोनों रग्बी में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे है।
शौकिया रग्बी खेलने वाली डुमिनी बन गईं अब स्टार
बात अगर डुमिनी मारिंडी की करे तो इन्होंने 2010 में शौकिया रग्बी खेलने की शुरुआत की थी लेकिन फिर इनका मन रग्बी में ऐसा रमा कि आज 21 साल की उम्र में अपनी टीम की स्टार खिलाड़ी है। हालांकि डुमिनी की लंबाई कम है लेकिन मैदान पर उनके करारे शॉट देखकर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी हैरान रह जाते है।
केआईआईटी यूनिवर्सिटी में एमए की छात्रा डुमिनी ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में आयोजन के लिए दी गई सुविधाओं की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि ये खेल यूनिवर्सटी से आने वाले खिलाडिय़ों के लिए एक बेहतरीन मंच है। उन्होंने स्पोटर्स कॉलेज के रग्बी मैदान की भी तारीफ की और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मिली सुविधाओं के चलते हमे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद मिली।
डुमिनी का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है और अब उनकी निगाह आगामी एशियाड के लिए भारतीय रग्बी टीम में जगह बनाने पर है।
श्रीधर श्रीकांत निगड़े का लक्ष्य भारतीय टीम में जगह बनाना
पुरुष वर्ग की विजेता भारती विद्यापीठ महाराष्ट्र के कप्तान श्रीधर श्रीकांत निगड़े भी किसान परिवार से आते है ओर उनके पिता श्रीकांत निगड़े बॉडी बिल्डर रहे है और अब खेती करते है। श्रीधर पहले फुटबॉल ख्रेलते थे लेकिन 2016 में उनके रिफलेक्स और स्पीड को देखकर कोल्हापुर में कोच दीपक पाटिल ने उन्हें जब रग्बी खेलने को कहा ते उनके पिता बोले नया गेम है कर लो और आज उनके पिता उनकी उपलब्धियों को देखकर फूले नहीं समाते है।
श्रीधर श्रीकांत निगड़े अंडर-17 एशियन स्कूल गेम्स में भारतीय टीम के प्रतिनिधितव के साथ भारत की सीनियर रग्बी टीम का भी प्रतिनिधत्व कर चुके है। वो एशियन लेवल पर आयोजित डिवीजन थ्री की विजेता टीम और डिवीजन फोर्थ की कांस्य पदक विजेता टीम के सदस्य रहेहै।
श्रीधर का ये दूसरा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स टूर्नामेंट है और उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि हमारी टीम को ये लगा ही नहीं कि हम घर से दूर है बल्कि ये हमारे लिए दूसरे घर जैसा हो गया और हमे चैंपियन बनने में यहां मिली सुविधाओं से खासी मदद मिली और हम निश्चित होकर खिताब की रक्षा करने में सफल हो सके।