राघवेन्द्र प्रताप सिंह : हाल ही में केंद्र सरकार ने “ऑल इंडिया रेडियो का नाम परिवर्तित कर “आकाशवाणी” कर दिया है।आजादी के अमृत काल के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया। ऑल इंडिया रेडियो को विशेष रूप से आकाशवाणी के रूप में संदर्भित करने का आदेश संसद द्वारा पारित प्रसार भारती अधिनियम, 1990 के प्रावधानों के अनुरूप है। श्रोताओं का आकाशवाणी से अधिक जुड़ाव होना भी इसके नाम में परिवर्तन का एक कारण है।
भारत में रेडियो प्रसारण सर्वप्रथम वर्ष 1923 में रेडियो क्लब ऑफ बॉम्बे द्वारा भेजे गए पहले
व्यावसायिक प्रसारण के साथ शुरू हुआ। केन्द्रीय स्तर पर प्रसारण सेवा के लिए वर्ष 1927 में, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (IBC) और राज्यस्तरीय प्रसारण सेवा के लिए वर्ष 1930 में, इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (ISBS) की स्थापना की गई। वर्ष 1936 में, ISBS का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो (AIR) कर दिया गया।
वर्ष 1942 में, ऑल इंडिया रेडियो ने भारत के केवल दो प्रतिशत भूमि क्षेत्र को कवर किया और 11 प्रतिशत जनसंख्या तक पहुँच कायम की।
ऑल इंडिया रेडियो ने टेलीविजन या डिजिटल मीडिया के आगमन से पहले, भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं को संप्रेषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1947 में जवाहरलाल नेहरू के प्रतिष्ठित “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” भाषण और वर्ष 1983 में कपिल देव की ऐतिहासिक 175 रनों की पारी का प्रसारण कर ऑल इंडिया रेडियो की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आकाशवाणी जिंगल, कई भारतीयों के लिए पुरानी यादों और बीते युग की यादों को ताजा करता है, वे भोर में जिंगल की आवाज से जागते हैं और आकाशवाणी प्रोग्रामिंग के साथ अपने दिन की शुरुआत करते हैं।