ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। इस बार शनि जयन्ती 19 मई को है। ज्योतिष में शनि देव को न्याय का देवता, कर्मफलदाता और दंडाधिकारी बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ये सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं। मान्यता है कि कर्मफलदाता शनि देव की उनकी जयंती के दिन पूजा अर्चना से शनिदेव विशेष कृपा करते हैं।
इस दिन दान दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। इनका कार्य मनुष्यों को उनके कार्य के अनुसार फल देना, अच्छे कार्य का अच्छा फल और बुरे कार्य का बुरा फल देना है अमावस्या तिथि 18 मई को रात 09:42 से प्रारम्भ हो कर 19, मई को रात 09:22 तक रहेगी शनि जयंती के दिन शोभन योग भी है यह योग 18 मई को शाम 7.37 बजे से 19 मई शाम 6.16 बजे तक है। इस दिन शनि स्वराशि कुंभ में रहकर शश राजयोग बनाएंगे। इसके साथ इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में होंगे जिससे गजकेसरी योग बन रहा है. ऐसे में शनि देव की पूजा से विशेष फल मिलेगा। इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था इस दिन व्रत रखकर सायंकाल में शनि पूजन और शनि की वस्तुओं के दान और शनि के मंत्र के जाप से शनि प्रसन्न होते है।
वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ व् मीन राशि पर चल रही है कर्क और वृश्चिक पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है या जिन व्यक्तियों की कुडंली में शनि अशुभ स्थिति में हो या पीड़ित हो, तो उन्हें शनि को प्रसन्न करने के लिये पीपल के वृक्ष की पूजा,पीपल के नीचे सरसो के तेल का दिया जलाना चाहिए दीन-दुःखियों, गरीबों और मजदूरों की सेवा और सहायता, काली गाय, काला कुत्ता , कौवे की सेवा करने से, सरसों का तेल , कच्चा कोयला, लोहे के बर्तन, काला वस्त्र, काला छाता, काले तिल, काली उड़द आदि के दान करने से शनि शुभफल देते है। भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना से भी शनि कष्ट नहीं देते है पीपल और शमी वृक्ष की पूजा, सात मुखी रुद्राक्ष पहनने से शनि दोष कम होता है।