कौन है योगी के दादा गुरु के बाबा गंभीरनाथ के नाम से बने वार्ड से जीतने वाली हकीकुन निशा?

  • गोरखपुर में बना इतिहास, पहली बार भाजपा के टिकट पर मुस्लिम महिला बनी पार्षद

लखनऊ :  बाबा गंभीरनाथ एक सिद्ध संत थे। वह गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी रह चुके हैं। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ के गुरु थे ब्रह्मलीन बाबा गंभीरनाथ। गोरखपुर नगर निगम के वार्ड संख्या 5 का नाम बाबा गंभीरनाथ के ही नाम से जाना जाता है। इस वार्ड से अबकी बार भाजपा ने हकीकुन निशा पत्नी बरकत अली को पार्षद पद का उम्मीदवार बनाया था। नतीजे आये तो वह जीत गईं। भाजपा के टिकट पर किसी मुस्लिम महिला का गोरखपुर के किसी वार्ड से जीतना खुद में इतिहास है।

पर यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ। हकीकुनिशा के पति एवं उर्वरक नगर के कई बार पार्षद रहे मनोज सिंह का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। दोनों की पृष्ठभूमि राजनैतिक है। दोनों के रिश्ते हैं।रोज का मिलना जुलना है। बरकत 2012 में भी निर्दल उम्मीदवार के रूप में पार्षदी का चुनाव लड़ा था, तब वह 52 मतों से हार गये थे। 2017 में सीट आरक्षित होने की वजह से उनको मौका नहीं मिला। 2018 में जब यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हुई तो बरकत की पत्नी हकीकुनिशा को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया।

2012 में योगी के करीब आये थे हकीकुनिशा के पति बरकत

यह अचानक नहीं हुआ। करीब दो दशक पहले गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने मानबेला में आसपास के कुछ गावों की जमीन अधिग्रहित की थी। मुआवजे को लेकर किसान संतुष्ट नहीं थे। तब बरकत ने किसानों की मांगों की पुरजोर पैरवी की। तब योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद थे। वह भी किसानों की मांगों से सहमत थे। पर समस्या यह थी कि इस आवाज को मुखर करने के लिए पीड़ित तो साथ आएं। मानबेला के आसपास के प्रमुख गांव फत्तेपुर और नोतन आदि मुस्लिम बहुल हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए जरिए मनोज सिंह बरकत अली बीच की कड़ी बने तो उनका गोरखनाथ मंदिर आने का सिलसिला भी शुरू हो गया।

2014 में मानबेला में होने वाली मोदी की रैली में बढ़चढ़कर निभाई थी भूमिका

बात 2014 की है। केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल बनने लगा था। बीजेपी ने तबके गुजरात के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित किया था। देश भर उनकी रैलियां हो रहीं थीं। उसी क्रम में गोरखपुर में भी एक रैली होनी थी। योगी का प्रयास था कि फर्टिलाइजर कारखाने के मैदान में रैली हो जाय। वह बड़ा था, सुरक्षित और सड़क से वेलकनेक्टेड भी। पर बात बनी नहीं। फर्टिलाइजर के पूर्वी गेट से कुछ आगे मानबेला का बड़ा पर उबड़-खाबड़ वह मैदान था जिसका जीडीए ने अधिग्रहण कर रखा था। आसपास के गांव अल्पसंख्यक बहुल थे। उनसे कैसे सहयोग लिया जाय यह भी एक समस्या थी। ऊपर से उस साल फरवरी के 28 दिनों में 18 दिन बारिश के थे। ऐसे में मैदान को समतल करना भी एक समस्या थी। बात बरकत अली तक पहुँची तो वह मनोज सिंह के साथ आसपास के प्रमुख स्वजातीय लोगों का प्रतिनिधि मंडल लेकर योगी से मिले। भरोसा दिलाया कि हम संभव सहयोग के साथ पूरी मजबूती के साथ रैली में भी रहेंगे। ऐसा हुआ भी तब यह खबर कुछ प्रमुख अखबारों में सुर्खियां बनीं थीं। अब बरकत की पत्नी के जीत के बाद भी उसीको क्रम को दोहराया जा रहा है।

हकीकुन के पति बरकत है भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष

बकौल बरकत किसान आंदोलन के दौरान ही हम लोग महाराज से मिले और कहा आप ही हमें इंसाफ दिला सकते हैं। उसके बाद आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया। 2015-16 में भाजपा का सक्रिय सदस्य बना। 2017 में भाजपा किसान मोर्चा के क्षेत्रीय कार्यसमिति का सदस्य बन और 2018 में जिले का उपाध्यक्ष। महाराज के ही कारण हम लोगों का मुआवजा 200 करोड़ रुपये बढ़ गया।

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