राम प्रकाश राय : उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में भाजपा को एकतरफा जीत मिली। सपा – बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। इतना ही नहीं इस जीत के साथ ही भाजपा ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में 80 सीटें जीतने के अपने लक्ष्य की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है। बता दें कि भाजपा ने आगामी लोकसभा में यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है और उस दिशा में तैयारियां लगातार जारी हैं। निकाय चुनाव की इस एकतरफा जीत में दो बातें खासी अहम हैं। निश्चित ही भाजपा की चुनावी समीक्षा में जब इन दोनों कारणों पर विचार होगा तो उन्हें लोकसभा चुनाव का लक्ष्य और ज्यादा करीब और आसान दिखने लगेगा। पहला ये की इस जीत के नायक रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दूसरा भाजपा को मुस्लिमों का मिला साथ।
साल 2017 में जब गोरखपुर स्थित गुरु गोरक्षनाथ पीठ के पिठाधिश्वर योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बने तो न केवल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में एक नई चर्चा शुरू हुई, ‘मोदी के बाद योगी’। एंटी रोमियो, भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेन्स और माफिया राज का सफाया जैसे एक के बाद एक लिए गए उनके फैसलों ने लोगों में उनका विश्वास और ज्यादा बढ़ाया। इन सबमें सबसे अहम रहा बुलडोजर और एनकाउंटर। बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी निर्भीकता से अपराधियों और माफियाओं पर कार्रवाई करवाई। बड़े-बड़े माफियाओं की कई संपत्तियों पर सरकार ने कब्जा जमाया। अवैध संपत्तियों और कब्जों पर बुलडोजर चला। कई-कई मंजिल की इमरातें जमीदोज़ हुईं।
आंकड़े बताते हैं कि केवल योगिराज 2.0 के एक वर्ष के ही कार्यकाल में जहां लगभग 1849 करोड़ की संपत्ति जप्त हुई है वहीं 21 अपराधी ढेर हुए हैं। पर ये तो सिर्फ बानगी है। मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल को जोड़ा जाए तो ये आंकड़े अलग ही तस्वीर बनाते हैं। योगी कि इन नीतियों ने लोगों में अपनी मजबूत पैठ बनाई। इतना ही नहीं अवैध कब्जों और बेनामी संपत्तियों पर गरजने वाले बुलडोज़र को ‘बाबा का बुलडोज़र’ कहा जाने लगा। एक के बाद एक माफियाओं के एनकाउंटर ने योगी की छवि को ‘सुपर मुख्यमंत्री’ वाला बना दिया।
यही कारण रहा कि 2022 में जब यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा ने योगी को अपना चेहरा बनाया। प्रधानमंत्री के साथ योगी पार्टी की नैय्या के खेवनहार बने और चुनाव में न सिर्फ जीत दिलाई बल्कि पहले से भी बड़ी जीत दिलवाई। योगी का बुल्डोज़र माडल प्रदेश से निकल दूसरे राज्यों में पहुंचा। भाजपा ही नहीं अन्य दलों की सरकार ने भी इसे अपनाने का काम किया।
हम यहां ये सारी बातें इसलिए बता रहे हैं कि कैसे योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार में लोगों की न सिर्फ आस्था बल्कि लोगों का भरोसा भी उनपर बढ़ता गया और उसी तरह बढ़ता गया उनका कद। यही वजह रही कि हर चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम और चेहरे पर लड़ने वाली भाजपा ने इस बार यूपी जैसे देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य का निकाय चुनाव केवल योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर लड़ा। ये बात इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि खुद प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र (वाराणसी) भी यहीं है। बावजूद इसके पार्टी संगठन सिर्फ योगी को अपना चेहरा बनता है और उसे एकतरफा जीत मिलती है।
इस जीत में अहम ये भी रहा कि भाजपा को मुस्लिम मतदाताओं का भी भरपूर साथ मिला। इस बार पार्टी ने कुल 395 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिसमें छः प्रत्याशी नगर पालिका अध्यक्ष, 32 प्रत्याशी नगर पंचायत अध्यक्ष और बाकी उम्मीदवार पार्षद के पद पर चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आज़मा रहे थे। पहली बार ऐसा देखा गया कि कई मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को विजय मिली। मेरठ, मुरादाबाद और बरेली जैसे नगर निगमों में पार्टी उम्मीदवारों को जीत मिली. इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। साथ ही हमेशा से समाजवादी पार्टी यहां मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती आई है। इतना ही नहीं सहारनपुर, बिजनौर और शामली में मिली जीत हमारी बात पर मुहर लगा रहीं हैं।
आपको याद दिलाते चलें कि पार्टी ने पसमांदा मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने के लिए कई प्रयास किये थे। उन्हें जोड़ने का अभियान चलाया गया। पार्टी ने इसके लिए बाकायदा रणनीति बनाकर कार्यक्रम आयोजित किया। इस अभियान का सकारात्मक असर अब दिखाई दे रहा है। हिंदुत्व के मुद्दे पर जन्मी और पलि-बढ़ी भाजपा के लिए ये किसी बूस्टर डोज़ की तरह है, जिसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।
निकाय चुनाव की इस सफलता ने जहां लोगों का विश्वास भाजपा और योगी आदित्यनाथ में साबित किया है, वहीं योगी आदित्यनाथ को पार्टी नेतृत्व के सामने अगली पीढ़ी के मजबूत नेता के तौर पर खड़ा कर दिया है. ये जीत इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में न सिर्फ उत्तर प्रदेश बेहद अहम होगा बल्कि योगी आदित्यनाथ भी खासे महत्वपूर्ण होंगे. आश्चर्य नहीं होगा कि हम लोकसभा चुनाव में मोदी-योगी की जोड़ी को न केवल यूपी बल्कि पूरे देश में पार्टी का प्रचार करते देखेंगे।