नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पहलवानों की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई बंद कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि पहलवानों को सुरक्षा मुहैया करा दी गई है। साथ ही उसने पूर्व जज से मामले की जांच की उनके अधिवक्ता की मांग भी खारिज कर दी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि ..प्राथमिकी दर्ज होने के बाद हम फिलहाल सुनवाई बंद कर रहे हैं। उचित राहत के लिए याचिकाकर्ता संबंधित मजिस्ट्रेट या हाईकोर्ट की शरण में जा सकते हैं।
खंडपीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला भी शामिल थे। खंडपीठ ने कहा कि इस अदालत में याचिका का उद्देश्य प्राथमिकी दर्ज कराना था। साथ ही पुलिस ने कहा है कि शिकायतकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई गई है।
पहलवानों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हूडा ने कहा कि खबरों के मुताबिक बुधवार की रात एक पुलिस अधिकारी ने प्रदर्शन स्थल पर नशे में पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार किया।
दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने कहा कि दो राजनीतिक दलों के नेता ट्रक पर फोल्डिंग बेड लेकर वहां पहुंचे थे जिसे पुलिस ने रोकने की कोशिश की। इसी दौरान हाथापाई हुई।
मेहता ने कहा कि पहलवानों का आरोप है कि पुलिसकर्मी ने पी रखी थी, लेकिन मेडिकल जांच में पाया गया कि किसी ने नहीं पी थी।
हूडा ने कहा कि सिंह खुलेआम पहलवानों के नाम ले रहे हैं। वह टीवी स्टार बन गए हैं। वह इंटरव्यू दे रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि इन सबके पीछे कोई कारोबारी है। उन्होंने उनकी पहचान गुप्त रखने के बारे में पूछा।
मेहता ने कहा कि शिकायतकर्ता भी इंटरव्यू दे रहे हैं और उनका नाम ले रहे हैं। सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने हूडा के बात पर आपत्ति जताई।
उन्होंने अदालत को बताया कि एक वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी मामले की जांच कर रही हैं। शिकायतकर्ताओं के बयान रिकॉर्ड किए जा चुके हैं और एक-दो दिन में कुछ और बयान रिकॉर्ड किए जाएंगे।
सुनवाई के अंत में हूडा ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि जैसे ही यह केस समाप्त हो जाएगा दिल्ली पुलिस की कार्रवाई सुस्त पड़ जाएगी। इसकी एक पूर्व न्यायाधीश से निगरानी कराई जाए।
खंडपीठ ने कहा, हमने याचिका में जो अनुरोध किया गया था वहीं तक खुद को सीमित रखा है और वह उद्देश्य पूरा हो चुका है। यदि मजिस्ट्रेट कोर्ट से आपको शिकायत है तो आप दिल्ली उच्च न्यायालय में जा सकते हैं।
पहलवानों द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि वे कई बार प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दिल्ली पुलिस के पास गईं, लेकिन विफल रहीं।
आरोप था कि देश को गौरवांवित करने वाली महिला एथलीटों को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। उनकी मदद करने की बजाय उन्हें न्याय के लिए यहां से वहां दौड़ाया जा रहा है।
याचिका में कहा गया था कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है और वह न्याय से बचने के लिए कानूनी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रहा है और वैधानिक व्यवस्था का दुरुपयोग कर न्याय में बाधा डाल रहा है।
पहलवानों ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि पुलिस यौन उत्पीड़न की सभी शिकायतों को गंभीरता से ले और तुरंत प्राथमिकी दर्ज करे तथा प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करके इसमें और बाधा न पैदा करे।