- काशी में ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं बनीं उद्यमी, दूसरी महिलाओं को भी दे रहीं रोजगार
वाराणसी, 28 अप्रैल। योगी सरकार में महिला सशक्तिकरण का सुखद उदाहरण देखने को मिल रहा है। महिलाएं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन वाराणसी से जुड़ी 1.27 लाख से अधिक महिलाएं आज अलग-अलग उद्यम से जुड़कर कम से कम 10 हजार रुपये मासिक की आमदनी कर रही हैं। इसमें महिलाएं फूलों की खेती, कृषि, दीदी कैफे, बाबा विश्वनाथ का प्रसाद, पशुपालन, हस्तशिल्प कला जैसे विभिन्न कामों से जुड़कर ना सिर्फ वे स्वावलंबी बन रही हैं बल्कि अपना और अपने परिवार की जिम्मेदारी भी उठा रही हैं। साथ ही परिवार में आर्थिक सहयोग भी कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर उद्यमी बनी ग्रामीण महिलाएं अपनी मेहनत और लगन के बूते स्वयं की तकदीर खुद लिख रही हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार स्वयं सहायता समूह के जरिए महिलाओं को रोजगार व स्वरोजगार योजना द्वारा भी आत्मनिर्भर बना रही है। स्वतः रोजगार के उपायुक्त दिलीप सोनकर ने बताया कि वाराणसी में 10,635 स्वयं सहायता समूह हैं, जिसमें महिलाओं की कुल संख्या 1,27,620 है। आजीविका मिशन से जुड़ी 72,862 महिलाएं उद्यमी बनकर घर की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है। अधिकारी के अनुसार स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सरकार की ओर से स्टार्टअप फण्ड 2500 रुपए, रिवॉल्विंग फण्ड 15,000 रुपए,और सामुदायिक निवेश फण्ड 1,10,000 रुपए दिया जाता है।
11 महिलाओं के साथ जय माता दी स्वयं सहायता समूह के नाम से बेकरी का काम रहीं सोनी गुप्ता ने बताया कि सरकार की मदद से हमलोग आत्मनिर्भर हो रहे हैं। अब किसी काम के लिए दूसरों पर आश्रित नहीं रहना पड़ता है। 12 महिलाओं के समूह के साथ चप्पल बनाने का काम कर रही हरी ओम सवास्याम सहायता समूह की सरिता देवी ने बताया कि इस योजना से साहूकारों से छुटकारा मिल गया है। सरकार की योजना से बहुत सी महिलाओं की आर्थिक दिक्कतें दूर हो गई हें। हमें सरकार पर भरोसा है की आगे चलकर और महिलाओं की मदद होगी। शिवभद्रा कुमार स्कूल में दीदी कैफ़े चला रही बसनी की आरती देवी ने बताया की इस रोजगार से घर में मदद करने से उनका सम्मान बढ़ा है। योगी सरकार को धन्यवाद देते हुए उन्होंने बताया कि सरकार महिलाओं के सम्मान के लिए बहुत बड़ा काम कर रही है।
आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं कृषि कार्य, पशुपालन, सिलाई, ग्रोसरी, फूलों की खेती, पॉवरलूम, मुर्गी पालन, स्कूलों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर दीदी कैफे, फिनाइल, वाशिंग पाउडर आदि बहुत से उत्पादों का उत्पादन और बिक्री कर रहीं हैं।