राघवेन्द्र प्रताप सिंह : कई राज्य कानूनों में सट्टेबाजी और जुए की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा हुआ है, वहीं स्किल से जुड़े कुछ गेम्स को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने कई फैसलों में संवैधानिक रूप से जायज माना गया है। इस कानूनी परिदृश्य में, भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग ने हाल के दिनों में भारी तरक्की देखी है। हालांकि, इस मौजूदा कानूनी परिदृश्य के बावजूद बीते कुछ वर्षों में इस उद्योग से विभिन्न सामाजिक और आर्थिक चिंताएं उभरकर सामने आई हैं:
बच्चों और वयस्कों के बीच लत से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर यूज़र को होने वाले नुकसान, खासकर ऐसी लत के कारण वयस्क यूजर्स को हुए वित्तीय नुकसान। हिंसक या अनुचित सामग्री के चित्रण के लिहाज से कॉन्टेंट से जुड़ी चिंताएं, क्योंकि बच्चों को ऐसी सामग्री या रियल मनी गेम्स तक पहुंचने से रोकने के लिए ठोस उपाय नहीं हैं। जुए और सट्टेबाजी की विदेशी वेबसाइटों के विज्ञापन भारतीय यूजर्स को निशाना बना रहे हैं।
यूजर्स के पैसे की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपायों की कमी है और किसी सख्त केवाईसी तंत्र के अभाव में मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी चिंताएं हैं।
कानूनी माध्यमों से इस तरह की चिंताओं को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 06 अप्रैल, 2023 को अधिसूचित किए गए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 में प्रासंगिक संशोधनों के जरिए विभिन्न रोकथाम और संतुलन संबंधी उपाय किए हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य यूजर्स, विशेष रूप से बच्चों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों पर ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों के बेरोकटोक और अवांछित नकारात्मक असर को काबू करना है।