व्यूरो : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शांत और समृद्ध पूर्वोत्तर के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए 20 अप्रैल को केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में नई दिल्ली में असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच वर्षों से लंबित अंतरराज्यीय सीमा विवाद के निपटारे के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है।
नॉर्थईस्ट में पूरी तरह शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के एक और अहम कदम के तहत इस महत्वपूर्ण समझौते पर असम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू , केन्द्रीय गृह सचिव और केन्द्र और दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
अमित शाह ने काफी समय से लंबित इस सीमा विवाद को सुलझाने में असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों ने विवाद के निपटारे के लिए क्षेत्रीय समिति बनाई, आम लोगों से बात की और सभी को इस प्रयास में समाहित करने का काम किया है।
दोनों राज्यों के बीच अंतर्राज्यीय सीमा से सटे 123 गांवों से संबंधित इस विवाद की समाप्ति के लिए आज हुआ समझौता ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, जनसांख्यिकीय प्रोफाइल, प्रशासनिक सुविधा, सीमा से निकटता और निवासियों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है। समझौते के तहत दोनों राज्य सरकारों में इस बात पर सहमति बन गई है कि 700 किलोमीटर से अधिक की दोनों राज्यों के बीच की सीमा के संबंध में यह समझौता पूर्ण और अंतिम होगा और दोनों पक्षों द्वारा भविष्य में किसी भी क्षेत्र या गांव से संबंधित कोई नया दावा पेश नहीं किया जाएगा। समझौते के बाद सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा दोनों राज्यों की सीमाओं के सटीक निर्धारण के लिए दोनों राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा।