हाल ही में केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मुंबई में इस्पात उद्योग पर तीन दिन के ‘इंडिया स्टील 2023’ सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया का कहना था कि विश्व इस्पात संघ के नेतृत्व में दुनिया के इस्पात विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि भारत वैश्विक इस्पात विकास का केंद्र बनने जा रहा है।
भारत का फिनिश्ड स्टील का उत्पादन 6 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया है, वहीं विश्व स्तर पर इस्पात उत्पादन कैलेंडर वर्ष 2022 में 4.2 प्रतिशत घट गया है। वहीं वित्त वर्ष 2024 में निर्यात सहित स्टील की खपत लगभग 132 मिलियन टन से 135 मिलियन टन होगी। गौरतलब है कि भारत में इस्पात उत्पादन में लगातार 6 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक इस्पात विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि भारत ग्लोबल स्टील ग्रोथ के विकास का केंद्र बनने जा रहा है।
भारत पहले ही दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक के तौर पर उभर चुका हैं और भारत का प्रति व्यक्ति इस्पात उत्पादन पिछले 9 वर्षों के दौरान 57 किलो से बढ़कर 78 किलो हो गया है।
स्टील के क्षेत्र में भारत की पीएलआई योजना :
इस्पात मंत्रालय ने हाल ही में पीएलआई योजना के तहत स्पेशेलिटी स्टील के लिए 27 कंपनियों के साथ 57 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पीएलआई योजना द्वारा अगले पांच वर्षों में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश पैदा करने और लगभग 25 मिलियन टन स्पेशेलिटी स्टील की अतिरिक्त क्षमता सृजित करने की उम्मीद है। ये योजना एक गुणक के रूप में काम करेगी और अमृत काल में 60,000 से ज्यादा रोजगार पैदा करेगी और 2030-31 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में योगदान देगी।
भारत में ग्रीन स्टील के उत्पादन पर प्रधानमंत्री का जोर: राघवेन्द्र प्रताप सिंह
ग्रीन स्टील के उत्पादन पर प्रधानमंत्री का जो जोर है, उसी के अनुरूप इस्पात मंत्रालय, इस्पात क्षेत्र को ज्यादा ग्रीन और टिकाऊ बनाने के लिए उचित कदम उठा रहा है। उन भारत सरकार इस्पात क्षेत्र के लिए जीरो वेस्ट, जीरो हार्म पॉलिसी में और धीरे-धीरे डीकार्बोनाइजेशन करने में यकीन रखती है। स्टील सेक्टर को फास्ट-ट्रैक करने के लिए इस्पात मंत्रालय नए विचारों और नवाचारों और नई तकनीकों को अपनाने को लेकर भी खुला नजरिया रख रहा है।
राष्ट्रीय इस्पात नीति होगी कारगर :
राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत को बढ़ाना अनिवार्य है ताकि देश की इस्पात तीव्रता को बेहतर किया जा सके। सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने स्टील स्क्रैपिंग नीति और वाहन स्क्रैपेज नीति लागू की है जिससे स्टील उद्योग को स्टील स्क्रैप की आपूर्ति बढ़ाई जा सकेगी। स्क्रैपेज नीति से ग्रीन स्टील के उत्पादन में भी तेजी आएगी और सुगम होगी। आज भारत को तीन बिंदुओं पर ध्यान रखने की जरूरत है 1) निम्न-श्रेणी के लौह अयस्क का उपयोग, 2) शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच खपत के अंतर को कम करना, और 3) प्रौद्योगिकी का कार्यान्वयन।