राघवेन्द्र प्रताप सिंह : भारत सरकार के अलग अलग मंत्रालय इस समय देश के महान धर्म गुरुओं, समाज सुधारकों, सांस्कृतिक कलाकारों, राष्ट्रीय स्वाधीनता सेनानियों को देश के स्मरण में लाने का काम कर रहे हैं। आजादी के अमृत काल में यह एक अप्रतिम पहल है और अब भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय अपने इतिहास में पहली बार बंजारा समुदाय के आध्यात्मिक और धार्मिक नेता संत सेवालाल महाराज की 284वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। इस दौरान माननीय गृह मंत्री के साथ केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी होंगी। वहीं, महाराष्ट्र सरकार के खाद्य और औषधि प्रशासन मंत्री संजय राठौड़ इस कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि होंगे। इसके अलावा वरिष्ठ भाजपा नेता व दिल्ली के पूर्व विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा, कालाबुरगी (कर्नाटक) के लोक सभा सदस्य डॉ. उमेश जाधव और अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर पवार 27 फरवरी को मंच साझा करेंगे।
पिछले 3 वर्षों से नई दिल्ली स्थित संत सेवालाल महाराज चैरिटेबल ट्रस्ट दिल्ली में इसका उत्सव मनाता आ रहा है। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. उमेश जाधव हैं, जो बंजारा समुदाय से भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र सांसद (कालाबुरागी संसदीय क्षेत्र) हैं। हर बार की तरह इस साल भी संत सेवालाल महाराज की जयंती को मनाने के लिए पूरे देश के बंजारा समुदाय के लोग दिल्ली में इकट्ठे हो रहे हैं।
इसके लिए कर्नाटक से एक विशेष ट्रेन भी चलाई गई, जिसमें कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बंजारा समुदाय के 2500 से अधिक लोग दिल्ली पहुंचे हैं। यह कार्यक्रम रविवार 26 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली स्थित डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित होगा। पूरे दिन उद्घाटन समारोह के साथ सांस्कृतिक, बंजारा कला और नृत्य के कार्यक्रम होंगे।
संत सेवालाल महाराज और उनकी भूमिका के बारे में :
संत सेवालाल महाराज का जन्म 15 फरवरी, 1739 को कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के सुरगोंडनकोप्पा में हुआ था। उन्हें बंजारा समुदाय का समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु माना जाता है। माना जाता है कि पूरे देश में बंजारा समुदाय की आबादी 10 से 12 करोड़ है। उन्होंने विशेष रूप से वनवासियों और खानाबदोश जनजातियों की सेवा करने के लिए अपने लादेनिया मंडली के साथ देश भर में यात्रा की थी।
आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में उनके असाधारण ज्ञान, उत्कृष्ट कौशल और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के कारण वे आदिवासी समुदायों में प्रचलित मिथकों व अंधविश्वासों को दूर करने और उनके जीवन में सुधार लाने में सक्षम थे।
पूरे देश में विभिन्न नामों से पहचाने जाने वाले बंजारा समुदाय के लोग अपनी खानाबदोश जीवनशैली को स्थायी रूप से छोड़कर टांडा नामक अपनी बस्तियों में बस गए हैं।
कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में संत सेवालाल महाराज हर बंजारा परिवार के पूजनीय प्रतीक हैं। फरवरी में इन सभी राज्यों में संत सेवालाल महाराज जी की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
संत सेवालाल जी की समाधि स्थल महाराष्ट्र के वाशिम जिला स्थित मनोरा तालुका के पोहरादेवी में स्थित है, जिसे बंजारा काशी के नाम से भी जाना जाता है।