राघवेन्द्र प्रताप सिंह : आमतौर पर भारत में बरसात के दिनों में जो पीले वाले मेंढक निकलते हैं, उन्हें ही हम वजनदार मानते हैं। ये मुश्किल से आधा किलो या एक किलो वजनी होते होंगे, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मेंढक तीन किलो से ऊपर के भी होते हैं और ये दुनिया के सबसे बड़े मेंढकों में शुमार हैं। हालांकि यह भारत में नहीं बल्कि अफ्रीका में पाये जाते हैं।
पश्चिमी अफ्रीका में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े मेढक को बचाने की उनकी कोशिशों के नतीजे निकल रहे हैं। गोलियाथ फ्रॉग का आकार बिल्ली की साइज़ तक बड़ा हो सकता है। मुख्यतः कैमरून और इक्वेटोरियल गिनी के इलाके में पाया जाना वाला गोलियाथ फ्रॉग शिकार की वजह से लगभग लुप्तप्राय हो चले थे। गोलियथ अपने रहने के लिए खुद ही एक छोटे तालाब का निर्माण करते हैं, यह उनके व्यवहार में शामिल है। कभी-कभी तो ये तालाब का निर्माण करने के लिए दो किलो से भी अधिक वजन वाले पत्थरों को भी हटा देते हैं।
पांच साल पहले वैज्ञानिकों ने शिकारियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि वे खाद्य स्रोत के रूप में घोंघे की खेती का सहारा लें।
कैमरून के जलीय क्षेत्रों में अब इन गोलियाथ मेढकों के नए घर दिखने लगे हैं। वैज्ञानिक दुनिया में गोलियाथ मेढकों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।
यहां तक कि कैमरून के बहुत से स्थानीय लोगों को भी इन मेढकों की उपयोगिता के बारे में जानकारी नहीं है। ये मेढक उन कीड़ों का शिकार करते हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।