- -यूपी के परिषदीय स्कूलों में नीदरलैंड्स के अर्ली वार्निंग सिस्टम को लागू करने पर चल रहा विचार
- -बेसिक शिक्षा मंत्री की अगुवाई में 12 सदस्यों की एक टीम मार्च में करेगी नीदरलैंड्स का दौरा
- -अर्ली वार्निंग सिस्टम को समझकर इसे यूपी में लागू किए जाने पर सरकार करेगी मंथन
- -6 से 14 वर्ष तक के स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए प्रतिबद्ध है योगी सरकार
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में कई अवेयरनेस कैंपेन चलाए जा रहे हैं, जिनके तहत पेरेंट्स को बच्चों के जीवन में शिक्षा का महत्व समझाया जा रहा है। हर तबके के बच्चों को स्कूल लाने के साथ-साथ सरकार का फोकस उन बच्चों को भी स्कूल वापस लाने का है, जो किसी न किसी वजह से बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं। अब योगी सरकार इसके लिए अभियान शुरू करने जा रही है। इस अभियान के अंतर्गत नीदरलैंड्स के अर्ली वार्निंग सिस्टम को उत्तर प्रदेश में लागू किए जाने की रूपरेखा बनाई जा रही है। नीदरलैंड्स के इस सिस्टम को समझने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री समेत 12 लोगों की टीम मार्च में नीदरलैंड्स जाएगी। सिस्टम को समझने के बाद जब यह टीम वापस लौटेगी तब इसे किस तरह प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में लागू किया जाए, इस पर गहन विमर्श होगा। संभावना है कि इस साल के अंत तक इस सिस्टम के माध्यम से स्कूल बीच में छोड़ने वाले बच्चों की मॉनीटरिंग और ट्रैकिंग शुरू हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार की मंशा के अनुरूप बेसिक शिक्षा विभाग हर वर्ष हाउसहोल्ड सर्वे कराता है। इस सर्वे के अनुसार 2020-21 में 4.81 लाख, 2021-22 में 4 लाख से अधिक और 2022-23 में 3.30 लाख बच्चे बीच में स्कूल छोड़ गए। 6 से 14 वर्ष की आयु वाले इन बच्चों का दोबारा स्कूल में दाखिला कराया गया है और अब प्रदेश सरकार ऐसे सिस्टम पर काम कर रही है ताकि बच्चों के स्कूल बीच में छोड़ते ही 40 दिन के अंदर इसकी ट्रैकिंग शुरू हो जाए और उनकी समस्या का निराकरण करते हुए उनकी जल्द से जल्द स्कूल में वापसी कराई जा सके।
बच्चों व अभिभावकों को किया जाएगा प्रोत्साहित
उत्तर प्रदेश के स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम की तर्ज पर यूपी के परिषदीय स्कूलों में भी अनुपस्थित रहने वाले बच्चों अर्थात आउट ऑफ स्कूल बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। जो बच्चे किसी भी कारण स्कूल में लगातार अनुपस्थित रह रहे हैं, उनके अभिभावकों से बात करके उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे अपने बच्चों को स्कूल ज़रूर भेजें। एक निर्धारित समय तक स्कूल न आने या स्कूल में कम समय देने वाले बच्चों की जानकारी जुटाई जाएगी। महनिदेशक ने कहा कि 40 दिन तक अगर कोई बच्चा विद्यालय में अनुपस्थित रहता है तो तुरंत उसकी ट्रैकिंग शुरू की जाएगी।
इस साल लागू हो सकता है सिस्टम
उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों में जल्द से जल्द इस सिस्टम को शुरू करने के लिए बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के नेतृत्व में शिक्षाधिकारियों के साथ-साथ यूपी में पुरस्कार विजेता टीचर्स की 12 सदस्यीय टीम शैक्षिक भ्रमण के लिए नीदरलैंड जाएगी। यह टीम वहां अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे में जानने व नवाचार के अभ्यास से जुड़ेगी। पूरे सिस्टम को समझने के बाद जब टीम वापस लौटेगी तो देखा जाएगा कि इसे किस तरह उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में लागू किया जा सकता है। यूपी की परिस्थितियों के अनुसार यदि इस पूरे सिस्टम को जस का तस लागू किया जा सकता है तो इस पर विभाग द्वारा मंथन किया जाएगा। यदि इसमें कुछ बदलाव किए जाने की संभावना होगी तो इसके लिए भी टीम गठित कर आगे की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। टीम के एक सदस्य के अनुसार अभी इस सिस्टम को लागू किए जाने की कोई टाइमलाइन तय नहीं है, लेकिन संभवतः इस साल के अंत तक या उससे पहले इसे लागू किया जा सकता है।
क्या है अर्ली वार्निंग सिस्टम?
अर्ली वार्निंग सिस्टम के अंतर्गत, यदि कोई बच्चा लगातार 40 दिनों तक स्कूल में अनुपस्थित रहे तो उसकी ट्रैकिंग शुरू कर दी जाती है और उसके अभिभावकों से सम्पर्क करके बच्चे के स्कूल न जाने के कारण पता लगाया जाता है। इसके बाद अधिकतर अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए टीम गठित की जाएगी, जो इन्हें वापस स्कूल में लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। अनुमान है कि नीदरलैंड के इस सिस्टम से स्कूलों में अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को स्कूल वापस लाने में मदद मिलेगी। उम्मीद जताई गई है की अर्ली वार्निंग सिस्टम अपनाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बनेगा।