- -एमएसएमई सेक्टर के अंतर्गत सभी 75 जिलों में निवेश के लिए साइन किए गए एमओयू
- -गौतमबुद्धनगर में सबसे ज्यादा 18,693 करोड़ के निवेश के लिए हुए 392 एमओयू
- -आगरा में 78 एमओयू के माध्यम से होगा 13,543 करोड़ रुपए का निवेश
- -गाजियाबाद में सबसे ज्यादा 2266 एमओयू, 12,887 करोड़ रुपए का निवेश संभावित
- -प्रदेश के धार्मिक महत्व वाले जिलों में भी निवेश के लिए उत्साहित हैं निवेशक
लखनऊ, 18 फरवरी। यूपीजीआईएस के माध्यम से प्रदेश के सभी हिस्सों में निवेश के माध्यम से विकास की गंगा बहाने की योगी सरकार की योजना रंग लाती दिख रही है। प्रदेश का ऐसा कोई भी क्षेत्र, मंडल या जिला नहीं है, जहां निवेश के लिए प्रस्ताव न प्राप्त हुए हैं। योगी सरकार के सबसे पसंदीदा सेक्टर की बात करें तो एमएसएमई के अंतर्गत प्रदेश के सभी 75 जिलों में निवेश के लिए एमओयू दर्ज किए गए हैं। जब यह एमओयू धरातल पर उतरेंगे तो इनके माध्यम से प्रत्येक जिले में युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार को एमएसएमई सेक्टर में 1.37 लाख करोड़ के निवेश वाले 8,829 एमओयू प्राप्त हुए हैं। इन एमओयू के माध्यम से प्रदेश में 18 लाख रोजगार प्राप्त होने की संभावना है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश बना पहली पसंद
एमएसएमई के तहत निवेश करने वाले उद्यमियों के लिए पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिले पहली पसंद के रूप में सामने आए हैं। इनमें गौतमबुद्धनगर पहले पायदान पर रहा है। इस जिले में निवेश के लिए कुल 392 एमओयू किए गए, जिसके माध्यम से 18,693 करोड़ रुपए से उद्यम लगाए जाएंगे। इनमें ईवी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट से लेकर इंडस्ट्रियल पार्क, पैकेजिंग यूनिट, ऑटोमोबाइल पार्ट्स समेत कई इंडस्ट्रीज शामिल हैं। दूसरे पायदान पर आगरा है, जहां के लिए 78 एमओयू हुए हैं और 13,543 करोड़ रुपए का निवेश होगा। तीसरे पायदान पर गाजियाबाद है जहां 12,887 करोड़ का निवेश होना संभावित है, जिसके लिए एमएसएमई सेक्टर के तहत सबसे ज्यादा 2266 एमओयू साइन किए गए हैं। वहीं मेरठ के लिए 396 एमओयू के माध्यम से 10,542 करोड़ का निवेश संभावित है।
टॉप-10 जिलों में 60 प्रतिशत निवेश
प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी को भी एमएसएमई के अंतर्गत 212 एमओयू दर्ज किए गए हैं। इसके माध्यम से 5,404 करोड़ रुपए का निवेश होगा। वहीं मुरादाबाद में 132 एमओयू के जरिए 5090 करोड़ रुपए निवेश किए जाएंगे। कानपुर नगर (322 एमओयू) में 4,587 करोड़, राजधानी लखनऊ (201 एमओयू) में 4,558 करोड़, अलीगढ़ (196 एमओयू) में 4,224 करोड़ और हापुड़ (208 एमओयू) में 3,926 करोड़ रुपए के निवेश होने हैं। इन टॉप-10 जिलों के माध्यम से ही प्रदेश में कुल 4,403 एमओयू हुए हैं, जिसमें 83,454 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है। यह निवेश कुल एमओयू के 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
धार्मिक महत्व वाले जिलों में भी पहुंचा निवेश
प्रदेश के धार्मिक महत्व वाले जिलों में भी निवेश के लिए एमओयू किए गए हैं। योगी सरकार द्वारा इन जिलों में सभी क्षेत्रों में विकास की जो बयार बहाई गई है, उससे निवेशक काफी उत्साहित हैं। महादेव की नगरी वाराणसी में 5,404 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है तो गोरखपुर में 79 एमओयू के माध्यम से 1,764 करोड़ का निवेश होगा। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में 78 एमओयू हुए हैं जिनके जरिए 1,050 करोड़ रुपए निवेश की संभावना है। संगम नगरी प्रयागराज में 68 एमओयू के द्वारा 1,020 करोड़, चित्रकूट में 126 एमओयू के माध्यम से 826 करोड़ और भगवान राम की नगरी अयोध्या में 70 एमओयू से 611 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावित हैं।
बुंदेलखंड भी नहीं रहा पीछे
कभी प्रदेश के पिछड़े इलाकों में पहचाना जाने वाला बुंदेलखंड भी योगी सरकार के प्रयासों से निवेश के लिए पसंदीदा गंतव्य बनकर सामने आया है। इसके अंतर्गत चित्रकूट में 126 एमओयू के माध्यम से 826 करोड़ रुपए का निवेश होना है तो महोबा के लिए 58 एमओयू किए गए हैं जिनमें 760 करोड़ रुपए का निवेश संभावित है। वहीं झांसी (45 एमओयू) में 476 करोड़, बांदा में 52 एमओयू से 370 करोड़, हमीरपुर (30 एमओयू) में 318 करोड़, ललितपुर (28 एमओयू) में 292 करोड़ और जालौन (16 एमओयू) में 188 करोड़ रुपए का निवेश हो सकता है। कुल मिलाकर बुंदेलखंड के इन जिलों में 3,230 करोड़ रुपए के निवेश हेतु 355 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं।