महाशिव रात्रि व्रत का पालन फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस बार यह पावन पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा। इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी दिन शनिवार को रात 08:02 से प्रारंभ हो रही है. चतुर्दशी तिथि का समापन अगले दिन 19 फरवरी रविवार को शाम 04:18 पर हो रहा है.महाशिवरात्रि के लिए निशिता काल पूजा का मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में होना आवश्यक है, इस आधार पर महाशिवरात्रि पूजा का मुहूर्त 18 फरवरी को प्राप्त हो रहा है, इसलिए महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी.इस साल महाशिवरात्रि पर सन्तान प्राप्ति का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार महाशिवरात्रि के साथ शनि प्रदोष व्रत भी है। मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ प्रसन्न होकर सन्तान प्राप्ति का वरदान देते हैं। शनिदेव भगवान शिव के शिष्य हैं.महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग बनेगा पूरे 30 साल के बाद शनि देव कुंभ राशि में विचरण कर रहे हैं. शनि-सूर्य महाशिवरात्रि पर कुंभ राशि में साथ रहेंगे. शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में विराजमान होंगे, महाशिवरात्रि को देवों के देव महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ है। अतः इस दिन का विशेष महत्व है।
इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिव मंदिर आकर बाबा के दर्शन करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर महादेव और मां पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही दुःख, संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं, अविवाहितों की शादी के भी योग बनते हैं। इसके लिए अविवाहित जातक महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा-उपासना करते महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन उनके विवाह का उत्सव मनाया जाता है भगवान शिव कल्याण करने वाले औढरदानी कहलाते है। ये शीघ्र प्रसन्न हो जाते है।
यह व्रत सभी वर्णा की स्त्री- पुरूश और बाल, युवा, वृद्ध के लिए मान्य है। शिवरात्रि व्रत सब पापों का शमन करने वाला है। इससे सदा सर्वदा भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पूजन में स्नान के उपरान्त शिवलिंग का अभिशेक जल, दूध,दही घृत, मधु, शर्करा (पंचामृत) गन्ने का रस चन्दन, अक्षत, पुश्पमाला, बिल्व पत्र, भांग, धतूरा इत्यादि द्रव्यों से अभिशेक विशेश मनोकामनापूर्ति हेतु किया जाता है एवं ‘‘ऊँ नमः शिवाय’’ मंत्र का जाप करना चाहिए। शिवरात्रि में प्रातः एवं रात्रि में चार प्रहर की शिव पूजन का विशेश महत्व है।
चार प्रहार की पूजा प्रारम्भ समय-र्प्रथम प्रहर सायंकाल 06ः13 , द्वितीय प्रहर रात्रि 09ः24 , तृतीय प्रहर मध्यरात्रि 12ः35 से चतुर्थ प्रहर प्रातः 03ः46 से प्रारम्भ होगा
निशिथ काल पूजा समय- रात 11ः55 से रात 12ः45 तक।
– ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द, अलीगंज