पिछले एक साल में नवीकरणीय ईंधन का उत्पादन करने वाली डिस्टिलरीज की बडी संख्या के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्तर प्रदेश का एथेनॉल उत्पादन 135 करोड़ लीटर के आंकड़े को पार करने की संभावना है। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 10% एथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।
पिछले वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान राज्य में डिस्टिलरीज ने 97 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया था। आबकारी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि, पिछले एक साल में अधिक संख्या में डिस्टिलरीज ने एथेनॉल का उत्पादन शुरू कर दिया है और नवीकरणीय ईंधन के उत्पादन के लिए अतिरिक्त गन्ने का इस्तेमाल किया जा रहा है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सुत्रों के अनुसार, 30 नवंबर तक, राज्य डिस्टिलरी ने 88 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया था। मध्य अक्टूबर से मध्य अप्रैल के बीच गन्ना पेराई का चरम मौसम है, और चालू वित्त वर्ष में कुल उत्पादन में 40% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
बरेली में ब्राजील की तर्ज पर एथेनॉल बनना शुरू :
बरेली में ब्राजील की तर्ज पर एथेनॉल बनना शुरू हो गया है। 235 करोड़ की लागत से इसके लिए प्लांट तैयार हुआ है। बरेली मंडल में सबसे अधिक क्षमता वाला यह सबसे सुपर और हाईटेक सुविधाओं से लैस द्वारिकेश चीनी मिल फरीदपुर का यह एथेनॉल प्लांट है। इस प्लांट से सीधे गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने की प्रक्रिया शुरू है। द्वारिकेश फरीदपुर चीनी मिल गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल बनाने वाली उत्तर भारत की पहली चीनी मिल बन चुकी है। शासन से मंजूरी मिलने के बाद मंडल का यह सबसे बड़ा प्लांट चालू हो चुका है और अब इस प्लांट से एथेनॉल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। रोजाना होने वाले गन्ने की पेराई का एक चौथाई हिस्सा अब सीधे गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने के काम में आ रहा है।
एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट उत्तर प्रदेश के गोंडा में :
गोंडा में एशिया के सबसे बड़े का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। 350 किलोलीटर प्रतिदिन क्षमता का यह प्लांट एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट होगा। यहां से एथेनॉल बनने के बाद विभिन्न तेल कंपनियों के पास भेजा जाएगा। इसके बाद तेल कंपनियां इसे फिल्टर कर पेट्रोल के रूप में इस्तेमाल करने योग्य बनाएंगी।