सरिता त्रिपाठी : श्रीमती निर्मला सीतारमण ने सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के शुभारंभ की भी घोषणा की जिसमें प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में जागरूकता सृजन, शून्य से 40 वर्ष के आयुवर्ग के 7 करोड़ लोगों की युनिवर्सल स्क्रीनिंग और केन्द्रीय मंत्रालयों तथा राज्य सरकारों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से काउंसलिंग का कार्य किया जाएगा।
आपको बता दें कि सिकेल सेल एनीमिया एक प्रकार का रक्त विकार है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सी शेप, अर्धचंद्राकार या सिकेल शेप में बदल जाती हैं। बच्चों को भी यह बीमारी घेर लेती है।
सिकेल शेप की लाल रक्त कोशिकाएं स्वस्थ अंडाकार शेप वाली कोशिकाओं की तुलना में सख्त और चिपचिपी हो सकती हैं। विकृत लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तरह रक्त वाहिकाओं में मूव नहीं करती हैं। यह बीमारी शिशुओं को भी प्रभावित करती है।
सिकेल सेल एनीमिया के कारण
सिकेल सेल डिजीज लाल रक्त कोशिकाओं के विकारों का एक समूह है जो बच्चे को उसे माता पिता से मिलता है। यह एक ऑटोसोमल रिसेसिव डिजीज है जिसका मतलब होगा कि बच्चे को यह बीमारी तभी होगी तब उसकी मां और पिता दोनों में सिकेल सेल जीन होंगे। जब बच्चे को अपनी मां और पिता दोनों से एक बीटा ग्लोबिन जीन की दो विकृत कॉपी मिलती हैं, तो बच्चे में यह विकार उत्पन्न होता है। जीन्स की विकृत कॉपी से डिफेक्टिव हीमोग्लोबिन प्रोटीन बनते हैं। आरबीसी यानी लाल रक्त कोशिकाओं के अंदर असामान्य हीमोग्लोबिन प्रोटीन एक ऐसी चेन बनाता है जो एक साथ झुंड में होती हैं। ये आरबीसी की शेप को बिगाड़ देती हैं।
चार से पांच महीने की उम्र तक शिशु में सिकेल सेल डिजीज के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। जन्म के बाद शुरुआती महीनों में शरीर में फीटल हीमोग्लोबिन के मौजूद होने की वजह से ऐसा होता है। जब फीटल हीमोग्लोबिन की जगह असामान्य हीमोग्लोबिन लेता है तब संकेत और लक्षण धीरे धीरे दिखने लगते हैं।
सिकेल सेल के लक्षणाों में बिलरूबिन के बढ़ने की वजह से आंखों का सफेद और त्वचा का पीला पड़ना शामिल है। इसके अलावा एनीमिया के कारण शिशु कमजोर हो जाता है। आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं का जीवन 120 दिनों का होता है जिसमें सिकेल सेल सिर्फ 10 से 20 दिनों तक रहते हैं। इसकी वजह से एनीमिया होता है।