वर्ष 2022 में पत्रकारों की हत्या के मामलों में, 50% बढ़ोत्तरी: यूनेस्को

यूनेस्को की हाल ही में जारी  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 2021-2022 नामक रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि गत वर्ष हर चार दिन में ऐसा एक मामला सामने आया जो पत्रकारों की असुरक्षा से जुड़ा था और जिसके कारण कुल 86 पत्रकारों की मौत हुई है।  वर्ष 2021 में 55 पत्रकारों की मौत हुई थी और 2022 में इस संख्या में वृद्धि होना चिंताजनक है।

यूएन एजेंसी ने पत्रकारों के सामने ख़तरे को उजागर करते हुए कहा है कि पत्रकारों को अपने कामकाज के दौरान बड़े जोखिमों का सामना करना पड़ता है।  यूएन एजेंसी की महानिदेशिका ऑड्री अज़ूले ने इन आँकड़ों को “ख़तरनाक” बताते हुए कहा है कि “अधिकारियों को इन अपराधों को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करने होगें, और यह सुनिश्चित करना चाहिए, कि इन अपराधों के ख़िलाफ़ जल्द कार्रवाई हो व दोषियों को दंडित किया जाए, क्योंकि उपेक्षा से ही हिंसा का ये माहौल बनता है। ”

रिपोर्ट में चेतावनी जारी करते हुए कहा गया है कि इन मामलों के सामने आने के बाद ऐसा लगता है कि पत्रकारों के लिए, दुनिया में हर स्थान जोखिम भरा है और “पत्रकारों के लिए ख़ाली समय में भी ख़तरा बरक़रार है।

हत्या मामलों के अलावा, वर्ष 2022 में पत्रकारों को अन्य हिंसा के रूपों का सामना करना पड़ा।  इनमें जबरन गुमशुदगी, अपहरण, मनमाने ढंग से हिरासत में रखना, क़ानूनी उत्पीड़न और डिजिटल हिंसा शामिल है।

यूनेस्को ने पाया कि वर्ष 2022 में पत्रकारों की असुरक्षा के मामले में सबसे ज़्यादा ख़तरनाक लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र रहे, जहाँ 44 मीडियाकर्मियों की हत्याएँ हुईं, जोकि दुनिया भर में मारे गए कुल मीडियाकर्मियों की आधी से अधिक संख्या है।

विश्व भर में सबसे घातक देश मैक्सिको रहा, जिसमें हत्या के 19 मामले दर्ज किए गए।  यूक्रेन में 10 और हेती में 9 मीडियाकर्मियों की मौतें हुईं।  एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में 16 मौतें दर्ज की गईं, जबकि पूर्वी यूरोप में 11 मीडियाकर्मियों की हत्याएँ की गईं।

वर्ष 2022 में सशस्त्र संघर्ष वाले देशों में मौत के मुँह में धकेले जाने वाले पत्रकारों की संख्या बढ़कर 23 हो गई, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 20 थी। कुछ पत्रकारों को सुनियोजित अपराध, सशस्त्र संघर्ष या बढ़ती चरमपंथी घटनाओं पर उनकी पत्रकारिता के कारण मार दिया गया। और अन्य मीडियाकर्मी भ्रष्टाचार, पर्यावरणीय अपराध, सत्ता के दुरुपयोग और विरोध जैसे संवेदनशील विषयों पर रिपोर्टिंग करने के कारण मौत के मुँह में धकेल दिए गए।

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