नई दिल्ली। प्रखर चिंतक और महान विचारक स्वामी विवेकानंद की 159वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय जन संचार संस्थान द्वारा आयोजित साप्ताहिक उपक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ को संबोधित करते हुए रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, कोझीकोड़ के सचिव व स्वामी विवेकानंद द्वारा 1896 में आरंभ पत्रिका ‘प्रबुद्ध भारत’ के पूर्व संपादक, स्वामी नरसिम्हानंद ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का समूचा जीवन प्रेरणा का स्रोत है. वे हमेशा युवाओं को यही परामर्श देते थे कि अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आओ, तुम्हें जो चाहिए वह मिलेगा. स्वामी विवेकानंद को सिर्फ हिंदू या भारतीय संत के दायरे में बॉंधना एक बहुत बड़ी भूल है. वे एक ऐसी महान विभूति थे, जो किसी भी जाति, धर्म, नस्ल या राष्ट्रीयता से ऊपर थे. उनका वेदांत दर्शन पूरे संसार के लिए था, जिसे उन्होंने विश्व भर में फैलाया. कार्यक्रम में भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो.(डॉ.) संजय द्विवेदी, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार, तथा सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.
‘स्वामी विवेकानंद और युवा’ विषय पर आयोजित इस संवाद में स्वामी नरसिम्हानंद ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को देश की युवा शक्ति में बहुत विश्वास था. वे हमेशा कहते थे कि ‘फ्री थिंकिंग, क्रिएटिव थिंकिंग और माइंड मैनेजमेंट’ ही जीवन में सफलता की कुंजी है. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद मानते थे कि भारत के पास समृद्धि पाने के लिए सारे स्रोत हैं. लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि युवा अपने आत्मविश्वास और अपने लक्ष्यों को उच्च स्तर पर ले जायें.
स्वामी नरसिम्हानंद ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हम दुनिया की सबसे युवा जनसंख्या वाले देश हैं. लेकिन, साथ ही यह बहुत दु:खद है कि आज हमारे अधिकांश युवा अपनी पूरी ऊर्जा और रचनात्मकता रोटी, कपड़ा और मकान हासिल करने में लगा रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने अपनी जरूरतों के संसार को इतना विस्तृत कर लिया है कि उनकी सारी जिंदगी उन्हें पूरा करने में ही बीत जाती है. फिर भी कोई ऐसा व्यक्ति नहीं, जो यह कह सके कि उसकी सारी जरूरतें पूरी हो चुकी हैं. हमारे सामने बहुत सारे विकल्प होना हमारे विकास की एक बड़ी रुकावट है. इसलिए अपने विकल्प सीमित रखें, अपनी जरूरतें सीमित रखें. तभी आप अपनी ऊर्जा को सार्थक उद्देश्यों में इस्तेमाल कर पायेंगे.
स्वामी नरसिम्हानंद का स्वागत क्षेत्रीय निदेशक, आईआईएमसी जम्मू परिसर प्रो. राकेश गोस्वामी ने किया. कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय निदेशक, आईआईएमसी कोट्टयम परिसर, प्रो. अनिल कुमार वडवतूर द्वारा किया गया.