- कुछ लोग जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर देश को तोड़ने का षडयंत्र रच रहे, इनसे सावधान रहें : योगी
- पीएम के नेतृत्व में देश को आतंकवाद, नक्सलवाद और अराजकता से मुक्त करने का कार्य हो रहा
- जगद्गुरू रामानन्दाचार्य ने मध्यकाल के आक्रांताओं को भक्ति के माध्यम से दिया था मुंहतोड़ जवाब
- श्रीमद्जगद्गुरु रामानन्दाचार्य जी के 723वें जयंती समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
वाराणसी। श्रीमद्जगद्गुरु रामानन्दाचार्य जी के 723वें जयंती समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां विशाल संख्या में आये लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज एक ओर पीएम मोदी के नेतृत्व में देश को जोड़ने वाली ताकत काम कर रही है, जिसमें बिना भेदभाव के समाज के हर तबके को योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और आध्यात्मिक वैभव को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का कार्य हो रहा है। आतंकवाद, नक्सलवाद और अराजकता से देश को मुक्त करने का कार्य हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग देश को तोड़ने के नाम पर षडयंत्र रच रहे हैं। वे जाति, क्षेत्र और भाषा के नाम पर समाज को तोड़ने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमें ऐसे तत्वों से सावधान रहना होगा।
मध्यकाल के आक्रांताओं को भक्ति के माध्यम से मुंहतोड़ जवाब दिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि सात सौ साल पहले साधना की ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले श्रीमद्गुरु रामानन्दाचार्य ने हर परंपरा को, फिर चाहे वो सगुण हो या निर्गुण, सभी को जोड़कर मध्यकाल के आक्रांताओं को भक्ति के माध्यम से मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसी के कारण आज का भारत बचा हुआ है। कार्यक्रम ऐसे अवसर पर आयोजित हो रहा है, जब हमारा देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर रहा है। प्रधानमंत्री ने जिन पंचप्रण की बात की है उनमें एक प्रण है गुलामी के अंशों को सर्वथा समाप्त करना। विरासत के प्रति सम्मान का भाव पैदा करना।
विलक्षण विरासत के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का ये एक महान अवसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि जगद्गुरू रामानन्दाचार्य ने एक संदेश दिया था, ”जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई”। जगद्गुरू रामानन्दाचार्य ने जो कुछ भी किया लोक कल्याण के लिए किया। उस काल खंड में जब बर्बर हमले हो रहे थे। धर्म असुरक्षित था, समाज में वैमनस्यता के बीज बोए जा रहे थे। तब उन्होंने समाज के अलग अलग समूहों को जोड़कर अद्भुत कार्य किया था। भक्ति की सभी परंपराओं को जोड़कर अलग अलग जगह अपने विशिष्ट और उत्कृष्ट शिष्यों को भेजकर समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया। उस विलक्षण विरासत के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का ये एक महान अवसर है।
इस अवसर पर डॉ रामकमल दास वेदांती, महामंडलेश्वर स्वामी संतोष दास जी महाराज, स्वामी सर्वेश्वरशरण जी महाराज, काशी वैष्णव संत समाज के पदाधिकारीगण, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल और दयाशंकर मिश्र दयालू, विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी और सौरभ श्रीवास्तव मौजूद रहे।