द इंडियन व्यू डेस्क। हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) ने कारावासों के महानिदेशकों और महानिरीक्षकों की बैठक बुलाई थी। यह जेल सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह बैठक ‘महिला बंदियों के अधिकारों के आलोक में पुलिस प्रशासन’ विषय पर आयोजित की गई थी, ताकि जेलों में महिला बंदियों के कुशलक्षेम पर प्रभावी प्रावधानों पर चर्चा की जा सके।
बैठक में देशभर के राज्यों के कारावासों के लगभग 16 डीजी/आईजी ने हिस्सा लिया। उनके अलावा डीएलएसए, गैर-सरकारी संगठनों और अकादमिक जगत के प्रतिनिधि भी बैठक में सम्मिलित हुये। इस बैठक में डीजी और आईजी ने बंदियों को दी जानी वाली सुविधाओं के सम्बंध में अपने-अपने राज्यों द्वारा अपनाये गये उत्कृष्ट व्यवहारों की जानकारी दी। इन सुविधाओं में महिला बंदियों की काउंसलिंग, कौशल विकास प्रशिक्षण और समाज में इन महिलाओं का समायोजन शामिल हैं।
बैठक के दौरान, महिला बंदियों के हालात सुधारने के अनेक सुझाव पेश किये गये। इन सुझावों में कारावास में अधिक स्टाफ की नियुक्ति, बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं पर ध्यान देना, जेलों की अधोरचना की समस्याओं का समाधान, बंदियों को बेहतर कानूनी सहायता की उपलब्धता और ठोस रोजगारपरक प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करना शामिल है।
बैठक में अनेक विषयों को रखा गया था, जैसे जेलों में क्षमता से अधिक बंदी, महिला बंदियों के लिये साफ-सफाई और स्वच्छता की उचित उपलब्धता तथा प्रशिक्षित और संवेदनशील स्टाफ की नियुक्ति, खासतौर से महिला अधिकारियों व पहरेदारों की।
बैठक में नये कौशल विकास प्रशिक्षणों, विचाराधीन बंदियों के लिये कानूनी सहायता तथा बंदियों को रोजगार अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर चर्चा की गई।
आयोग बैठक के दौरान आने वाले सुझावों-सिफारिशों को आगे बढ़ायेगा, ताकि कारावासों में महिला बंदियों के कुशलक्षेम में सुधार करने लाने के लिये आवश्यक कदम उठाये जा सकें।
सिफारिशों में परिवार वालों के साथ बंदियों की मुलाकात की सुविधा में इजाफा करना, बंदियों को मनोरंजन की सुविधायें उपलब्ध कराना, खुली जेलों और घर के समीप बंदीगृह की संभावनाओं की खोज, बंदियों के कल्याण के लिये कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की संभावना तथा कारावास प्रशासन और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के बीच संपर्क स्थापना को भी शामिल किया गया था।