- –मुख्यमंत्री योगी ने कहा, शासन की हर योजना से लाभान्वित हो रहे किसान
- –पीएम के प्रयासों और यूपी में जारी योजनाओं से दोगुनी हुई किसानों की आमदनी
- –पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर सीएम ने अन्नदाताओं को प्रदान की उन्नतिशील बीजों की मिनी किट
- –प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभार्थियों को वितरित किए ‘मेरी पॉलिसी-मेरा खेत’ प्रमाण पत्र
- पीएम कुसुम योजना के लाभार्थियों को सोलर सिंचाई पंप के स्वीकृति पत्र भी प्रदान किए
लखनऊ। भारत जैसे देश में अन्नदाता किसान प्रकृति पर निर्भर करता है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन किया गया। इसके जरिए अन्नदाता किसानों ने उत्तर प्रदेश के पोटेंशियल (सामर्थ्य) को व्यक्त किया है। प्रदेश का प्रत्येक किसान सरकार की योजनाओं के बारे में जानता है। सरकार की नई योजनाओं के बारे में उन्हें अभियान चलाकर जागरूक किया जा रहा है, ताकि वो अधिक से अधिक लाभ लेकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें।
ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर किसानों को उन्नतिशील बीजों की मिनी किट प्रदान करते हुए कहीं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभार्थियों को ‘मेरी पॉलिसी-मेरा खेत’ प्रमाण पत्र, पीएम कुसुम योजना के लाभार्थियों को सोलर सिंचाई पंप का स्वीकृति पत्र वितरित किया। साथ ही योगी आदित्यनाथ ने राजकीय कृषि प्रेक्षेत्रों हेतु 21 ट्रैक्टर्स को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर पं. दीन दयाल उपाध्याय को श्रद्धांजिल भी अर्पित की।
अन्नदाता किसान के साथ खड़ी है डबल इंजन की सरकार
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, आज अंत्योदय के प्रणेता पं. दीन दयाल उपाध्याय जी की पावन जयंती है। इस अवसर पर मुझे प्रसन्नता है कि डबल इंजन की सरकार संकट के समय अपने अन्नदाता किसान भाई-बहनों के साथ खड़ी है। हम सबने विगत ढाई वर्ष के अंदर सदी की सबसे बड़ी महामारी का सामना किया है। भारत में प्रधानमंत्री मोदी जी ने कोरोना प्रबंधन का जो मॉडल पेश किया, उसे दुनिया भर में प्रशंसा मिली। सबको टेस्ट, फ्री में टेस्ट, सबको उपचार, फ्री में उपचार, सबको टीका और फ्री में टीका। साथ ही 80 करोड़ लोगों को फ्री में राशन उपलब्ध कराना, श्रमिकों को भरण पोषण भत्ता देना और अन्नदाता किसानों को किसान सम्मान निधि का लाभ देना। ये अकेला भारत में ही हो रहा था।
महामारी में भी चलायमान थे किसान
कोरोना महामारी में दुनिया पस्त हो गई थी, लेकिन एक सेक्टर था, जो दृढ़ता से खड़ा था वो कृषि सेक्टर था। मेरे सामने प्रस्ताव आया कि गेहूं की फसल खड़ी है, क्या होगा। मैंने कहा कि हम लोग कंबाइन मशीन मंगाएंगे। कोविड हेल्प डेस्क बनाओ और फसल को कटवाने, क्रय केंद्र तक पहुंचाने में मदद करो। कोरोना महामारी के वक्त देश और दुनिया के अंदर चीनी मिलें बंद हो गई थीं। प्रदेश के अंदर हमने सभी 119 मिलों को चलाया। व्यापार बंद हो गया, आवागमन बाधित हो गया, लेकिन एक चीज जो चलायमान थी वो हमारा किसान था जो निरंतर कार्य करता रहा। उसने हर व्यक्ति को बिना भेदभाव के राशन उपलब्ध कराया। अन्नदाता किसान के परिश्रम और पुरषार्थ का परिणाम है कि यह पहली महामारी है जिसमें भुखमरी से मौत नहीं हुई। इसीलिए 2014 से लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी ने लक्ष्य रखा कि 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुना करना है। ईमानदारी से देखें तो किसानों की आमदनी दोगुनी से अधिक बढ़ी है।
लंबित पड़ी योजनाओं को किया पूरा
हम सब आभारी हैं कि पहली बार धरती माता के भी स्वास्थ्य का परीक्षण होगा। प्रधानमंत्री मोदी जी ने सॉइल हेल्थ कार्ड जारी किया है। पहली बार किसान की फसल का बीमा होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी लागू हुई। पहली बार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू होकर लंबित कृषि सिंचाई की योजनाओं को पूरा करने में भारत सरकार योगदान देगी। उत्तर प्रदेश के अंदर हमने छोटी-बड़ी 36 सिंचाई की परियोजनाओं को पूरा किया तो 21 लाख हेक्टेयर से भी अधिक भूमि को सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध कराई। हमने कुछ परियोजनाएं ऐसी बनाईं जो 50-50 वर्षों से लंबित पड़ी थीं। जिन लोगों ने शिलान्यास किया था, वो आज नहीं हैं लेकिन उन सबकी परियोजना को हमने पूरा किया।
सोलर पंप से जीरो हो जाएगा बिजली का बिल
उत्तर प्रदेश में जब सरकार बनी, तब कर्ज के तले दबे किसानों बंधुओं को राहत देने के लिए लघु और सीमांत किसानों के एक लाख रुपए तक के कर्ज को माफ करने की कार्रवाई की गई। आजादी के बाद भले ही 1967 में एमएसपी की घोषणा हुई हो, लेकिन एमएसपी का लाभ पहली बार किसान को मिला और वो भी लागत का डेढ़ गुना लाभ मिला, जो पहली बार हुआ है। अब तक हम लोग 27 हजार किसानों को सोलर पंप उपलब्ध करा चुके हैं। 30 हजार किसान को सोलर पंप उपलब्ध कराने जा रहे हैं। किसानों के लिए हमने बिजली का बिल पहले ही आधा कर दिया है और अब जब वो सोलर पंप लगा लेंगे तो बिजली का बिल जीरो हो जाएगा।
किसी किसान का नहीं होगा नुकसान
सीएम ने आगे कहा, इस सीजन में 62 जनपद ऐसे हैं जहां समय से वर्षा नहीं हुई है। वहां हमने दलहन, तिलहन और सब्जी के बीज उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। बीते 10 दिन से अतिवृष्टि से भी नुकसान हुआ है। प्रदेश के जिन 12 जनपदों में बाढ़ के कारण फसलों को नुकसान पहुंचा था, वहां पर 876 करोड़ रुपए किसानों के कंपनसेशन के लिए पहले ही भेज दिए गए हैं। सूखे का सर्वे भी चल रहा है, साथ ही अतिवृष्टि से भी अन्नदाता को नुकसान हुआ है, इसका भी सर्वे करवाकर किसानों का सहयोग करेंगे।
किसानों को करें योजनाओं के प्रति जागरूक
प्रदेश में अनेक योजनाएं हैं, जिनका लाभ किसानों को मिल रहा है। यहां पर एक किसान ने कहा कि मेरा खेत, मेरी पॉलिसी के जरिए मुझे 18 हजार रुपए की सहायता मिली है। ये चीजें दिखाती हैं कि यदि हम जागरूक हो जाएं और शासन की योजनाओं का लाभ लेने लगें तो उसका बेहतर लाभ मिल सकता है। आज मेरा खेत, मेरी पॉलिसी का भी शुभारंभ किया गया है और हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम हर किसान को इसके प्रति जागरूक करें। दूसरा, शासन की योजनाओं की जानकारी कृषि अधिकारी हर जनपद में दें। कृषि विज्ञान केंद्र आज सक्रिय हैं। कृषि विश्वविद्यालय भी इसके साथ जुड़कर और तेजी से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।
प्राकृतिक खेती यानी कार्य एक, लाभ अनेक
गो आधारित प्राकृतिक खेती की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने एक बार किसानों से इसे अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, गो आधारित खेती, यानी कार्य एक और लाभ अनेक। पहला, जितना आप फर्टिलाइजर, केमिकल और पेस्टीसाइड उपयोग करते हैं खेत में, इस खर्च को न्यूनतम पहुंचाने का कार्य है ये। एक एकड़ खेती में 12 से 15 हजार रुपए का फर्टिलाइजर, केमिकल और पेस्टीसाइड खर्च होता है। प्राकृतिक खेती में यह खर्च मात्र एक हजार रुपए में सीमित हो जाएगा। यानी प्रति किसान 10 से 12 हजार रुपए की बचत होगी। दूसरा उत्पादन उससे बेहतर हो जाएगा। तीसरा, अतिवृष्टि में भी प्राकृतिक खेती का उतना नुकसान नहीं होगा। चौथा, मार्केट में इसके दाम भी अच्छे मिलेंगे। पांचवां, गोसेवा भी हो जाएगी। यानी जिस गोमाता के बिना हमारा कोई काम संपन्न नहीं होता उस गोमाता की हम रक्षा भी कर पाएंगे। साथ-साथ हम अपनी वर्तमान और भावी पीढ़ी को बीमारियों से भी बचा पाएंगे। प्राकृतिक खेती से 6 प्रकार के लाभ होने जा रहे हैं। इसलिए इसे अपने कार्यक्रम का हिस्सा बनाएं। सरकार इसके प्रोत्साहन का काम करेगी। ये खेतीबाड़ी के लिए, बागवानी के लिए भी और सब्जी आदि के उत्पादन के लिए भी निर्णायक साबित होगा।