25/9/22 आज के अमर उजाला अखबार की टॉप ख़बर की हैडिंग में गलती खटक रही है। मिस प्रिंटिंग मानवीय चूक है, अख़बार कर्मियों से ऐसी गलती होती रहती है। लेकिन अमर उजाला जैसे देश के बड़े अखबारो की क़ीमत तो बढ़ती जा रही हैं। जो अखबार कुछ समय पहले दो-तीन रुपए के होते थे उनकी क़ीमत बढ़ाकर सात रुपए कर दिए गए हैं। लेकिन अखबारो की गुणवत्ता बढ़ने के बजाए घटती जा रही है। कम स्टाफ और ज्यादा विज्ञापन की हवस में पत्रकारिता के मूल्यों तक की हत्या की जा रही है।
रविवार को अखबार के अधिक पाठक होते हैं इसलिए प्रसार भी अधिक होता है, अखबार की प्रतियां बढ़ा दी जाती हैं। और रविवार के अंक के लिए ख़ूब विज्ञापन बटोरे जाते हैं।
एक तो इतवार दूसरा ऑल एडिशन। तीसरी ये बात कि ऑल एडीशन की टॉप ख़बर, और उसकी हैडिंग में भी गलती। हैं ना बड़ी चूक!
बड़े अखबारों के बड़ी-बड़ी हैसियत वाले मालिकानों, अखबारों में कॉस्ट कटिंग मत कीजिए ! छंटनी मत कीजिए। कम स्टाफ से इतना काम मत लीजिए कि एडिटर,चीफ सब, न्यूज कॉर्डिनेटर, सीनियर सब एडिटर, सब एडिटर और प्रूफ रीडर को ऑल एडिशन पेज वन की टॉप स्टोरी की हैडिंग की ग़लती। भी नहीं दिखे।