उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरकत की। शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले सभी राष्ट्रों के नेताओं ने ग्रुप फोटो में भाग लिया। शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल हुए। एससीओ शिखर सम्मेलन पर एक विशेष ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी उस महत्व का प्रतिबिंब है, जो एससीओ और उसके लक्ष्यों के प्रति भारत की प्राथमिकता है।
एससीओ की स्थापना जून, 2001 में हुई थी और भारत 2017 में पूर्ण सदस्य बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2017 में भारत के पूर्ण सदस्य बनने के बाद से हर साल एससीओ शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। वर्ष 2020 और 2021 में पिछले दो शिखर सम्मेलनों के दौरान श्री मोदी ने वर्चुअल भागीदारी की थी। एससीओ एक क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है, जिसमें आठ सदस्य देश भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान हैं। उज्बेकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का वर्तमान अध्यक्ष हैं। ये संगठन मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों और विकास पर ध्यान फोकस करता है। भारत न सिर्फ पूर्व, बल्कि पश्चिम के देशों के कई मंचों का हिस्सास है। ऐसे में किसी एक का पक्ष न लेना उसकी विदेशी नीति का तकाजा भी है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार समरकंद के लिए रवाना होने से पहले गुरुवार को पीएम ने कहा था, ‘एससीओ शिखर सम्मेलन में मैं सामयिक, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, एससीओ के विस्तार और संगठन के भीतर बहुआयामी एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को और गहरा बनाने के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक हूं। उज़्बेक अध्यक्षता के तहत व्यापार, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्रों में आपसी सहयोग के बारे में कई निर्णय लिए जाने की संभावना है।’