नुसरत ने इमरान खान को कमजोर नेता बताया है। उन्होंने कहा कि इमरान खान केवल नीतियां बना सकते हैं, लेकिन इसके क्रियान्वयन का फैसला सेना लेती है। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान की स्थापना के बाद से पाक सैन्य शासित राज्य रहा है। इमरान खान नीतियों को डिजाइन कर सकते हैं लेकिन सवाल यह है कि उन्हें इन नीतियों को काम करने और निकालने के लिए पर्याप्त जगह दी जाएगी।’
पाकिस्तानी सेना और ISI की खोली पोल
उन्होंने भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर बात करते हुए कहा, ‘हमें लगता है कि भारत और पाकिस्तान को सबसे पहले आपसी विश्वास को बहाल करना चाहिए। वहीं, पाक सेना और आइएसआइ का असली चेहरा बेनकाब करते हुए नदीम ने कहा, ‘पाकिस्तान की सेना और आइएसआइ हमेशा ही कुछ न कुछ गड़बड़ करते आए हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी और पीएम नवाज शरीफ ने मुलाकात की थी, तो पठानकोट की घटना हो गई और जब नवाज शरीफ और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति घनी ने मुलाकात की तो काबुल में धमाका हो गया। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी दो देशों के बीच संबंधों में सुधार नहीं होने देना चाहती है।’
लश्कर पर चुप्पी क्यों
जब उनसे पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद शाह कुरैशी के उस बयान के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के साथ अनुकूल माहौल के लिए आह्वान किया, तो नुसरत ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के नेताओं को दी गई स्वतंत्रता सहित कई चीजों के लिए उत्तरदायी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए अन्य देशों को दोष देना मुश्किल होगा जब तक कि यह अपने स्वयं के मुद्दों का समाधान नहीं निकालता।
कश्मीर से पहले इन मुद्दों को हल करे पाकिस्तान
उन्होंने कहा, ‘यह दुख की बात है कि पाकिस्तान को इसमें समस्या है कि भारत अफगानिस्तान की मदद करता है और इस्लामाबाद पर जासूसी के आरोप लगाता है। पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपने पिछड़ा मानता है, लेकिन वह भूल जाता है कि अफगानिस्तान एक संप्रभु राज्य है। कराची के 25,000 लोगों की हत्या, बलूच और सिंधियों के अपहरण के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। कश्मीर में तथाकथित मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बात करने के बजाय, पाकिस्तान को इन मुद्दों को सबसे पहले हल करना चाहिए।