(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी) । भारतीय विदेश मंत्री एस० जयशंकर 9वीं भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए थाईलैंड में हैं, दोनों देश राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, दौरे के दौरान थाईलैंड और भारत के बीच कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होंगे और थाईलैंड के उपप्रधान मंत्री और विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री भी एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। भारत और थाईलैंड घनिष्ठ समुद्री पड़ोसी हैं जिनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। इसी संदर्भ में, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को थाईलैंड की ‘लुक वेस्ट’ नीति द्वारा सराहा गया है।
जयशंकर थाईलैंड यात्रा पर, कई समझौतों पर होंगे हस्ताक्षर।
बैंकॉक में होने वाली बैठक में भारत और थाइलैंड के बीच कई समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इससे पहली एस० जयशंकर ने एक ट्वीट में बताया कि उन्होंने भारतीय समुदाय से मिलकर थाईलैंड दौरे की शुरुआत की। उनके साथ न्यू इंडिया की उपलब्धियों और आकांक्षाओं को साझा किया और भारत की प्रगति में योगदान के लिए उनका स्वागत भी किया। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने थाईलैंड के प्रधान मंत्री प्रयुत चान-ओ-चा से भेंट की और प्रधानमंत्री की तरफ से व्यक्तिगत बधाई दी साथ ही लिखा कि हम राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो हमारे द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने में थाईलैंड के पीएम का मार्गदर्शन लाभकारी साबित हुआ है।
एक और ट्वीट में भारतीय विदेश मंत्री एस० जयशंकर ने बताया कि थाईलैंड में DPM और FM डॉन प्रमुदविनई के साथ 9वीं भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की। हमारे सभी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए उपयोगी बातचीत हुई साथ ही राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा और रक्षा, कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य डोमेन में संपर्कों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।
विदेश मंत्री एस० जयशंकर थाईलैंड यात्रा में राजनीतिक सुरक्षा, आर्थिक व्यापार और निवेश कनेक्टिविटी, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग सहित सभी आयामों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करेंगे, और COVID-19 महामारी के बाद द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करेगी। बैंकॉक में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा भारत अपने हितों के बारे में बहुत ईमानदार रहा है। उन्होंने कहा जहां तक रूस से कच्चा तेल खरीदने के बात है तो आज दुनिया भारत की स्थिति को स्वीकार कर रही है। विदेश मंत्री ने कहा, भारत इस सौदे को लेकर बहुत हद तक रक्षात्मक नहीं था। हालांकि, इस सौदे ने अन्य देशों को अपने लोगों के प्रति दायित्व का एहसास कराया है।