नई दिल्ली। हाल ही में 10 वां भारत यूरोपीय संघ मानवाधिकार संवाद ( इंडिया ईयू ह्यूमन राइट डायलॉग ) नई दिल्ली में आयोजित किया गया। यह एक ऐसा मंच है जिसके जरिये वार्षिक स्तर पर भारत और 27 देशों वाले संगठन यूरोपीय संघ के बीच मानवाधिकार के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होती है।
नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में भारत और यूरोपीय संघ ने इस बात पर प्रतिबद्धता फिर से जताई कि दोनों ही पक्ष मानव अधिकारों के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने की दिशा में काम करते रहेंगे।
इस संदर्भ में भारत और यूरोपीय संघ ने मुक्त लोकतांत्रिक समाजों की स्थापना और उनकी मजबूती पर बल दिया है। इस बैठक में भारत और यूरोपीय संघ ने विभिन्न सिविल और पॉलीटिकल राइट्स के मुद्दों पर आपसी विचार का आदान प्रदान किया जिसमें दोनों ने अल्पसंख्यक समुदाय और संवेदनशील समूह से जुड़े लोगों के अधिकारों के संरक्षण पर संवाद किया ।
बैठक में धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ऑनलाइन और ऑफलाइन अपने विचारों को रखने की आजादी, महिला सशक्तिकरण बालकों के अधिकार, एलजीबीटी कम्युनिटी के अधिकारों के संरक्षण को लेकर चर्चा हुई।
इसमें प्रवासियों के अधिकारों, लोकतंत्र और मानवाधिकार के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, सुरक्षा और मानव अधिकार के मुद्दों में संबंध , बिजनेस और मानवाधिकार के मुद्दों में संबंध , लोक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग, मानवाधिकारवादी सहायता और आपदा राहत जैसे मुद्दों पर विशेष चर्चा की गयी।
भारत और यूरोपीय संघ ने सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों, पत्रकारों के अधिकार और संगठनों के अधिकारों को संरक्षित करने की बात की। वहीं यूरोपीय संघ ने इस बात पर बल दिया कि मृत्युदंड किसी भी मामले में नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। वहीं भारत ने सभी देशों से विकास के अधिकार को एक पृथक, सार्वभौमिक, अपृथक्करणीय और मौलिक मानव अधिकार के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव किया।