नई दिल्ली। नमस्कार साथियों, यह सत्र मौसम से तो जुड़ा हुआ है। अब दिल्ली में भी वर्षा अपना दस्तक देना प्रारंभ किया है। लेकिन फिर भी न बाहर की गर्मी कम हो रही है और पता नहीं अंदर भी गर्मी कम होगी या नहीं होगी। यह कालखंड एक प्रकार से बहुत महत्वपूर्ण है। यह आजादी के अमृत महोत्सव का कालखंड है।
15 अगस्त का विशेष महत्व है और आने वाले 25 साल के लिए देश जब शताब्दी मनाएगा तो हमारी 25 साल की यात्रा कैसी रहे, हम कितनी तेज गति से चलें, कितनी नई ऊंचाईयों को पार करें। इसके संकल्प लेने का एक कालखंड है और उन संकल्पों के प्रति समर्पित हो करके देश को दिशा देना, सदन देश का नेतृत्व करें, सदन के सभी मान्य सदस्य राष्ट्र में नई ऊर्जा भरने के लिए निमित्त बने। उस अर्थ में यह सत्र भी बहुत महत्वपूर्ण है।
यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसी समय राष्ट्रपति पद और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव हो रहे हैं। आज मतदान भी हो रहा है। और इसी कालखंड में देश को नये राष्ट्रपति, नये उपराष्ट्रपति, उनका मार्गदर्शन प्रारंभ होगा। हम हमेशा सदन को संवाद का एक सक्षम माध्यम मानते हैं, तीर्थक्षेत्र मानते हैं। जहां खुले मन से संवाद हो, जरूरत पड़े तो वाद-विवाद हो, आलोचना भी हो, बहुत उत्तम प्रकार का एनालिसिस करके चीजों का बारीकियों से विश्लेषण हो। ताकि नीति और निर्णयों में बहुत ही सकारात्मक योगदान हो सके। मैं सभी आदरणीय सांसदों से यही आग्रह करूंगा कि गहन चिंतन, गहन चर्चा, उत्तम चर्चा और सदन को हम जितना ज्यादा प्रोडक्टिव बना सके, सदन को जितना ज्यादा फ्रूटफुल बना सके। इसलिए सबका सहयोग हो और सबके प्रयास से ही लोकतंत्र चलता है। सबके प्रयास से ही सदन चलता है। सबके प्रयास से ही सदन उत्तम निर्णय करता है। और इसलिए सदन की गरिमा बढ़ाने क लिए भी हम सब अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए इस सत्र का राष्ट्रहित में सर्वाधिक उपयोग करे और हर पल याद रखें कि आजादी के लिए जिन्होंने अपनी जवानी खपा दी, अपना जीवन खपा दिया, जिंदगी जेलों में काटी, कितनी शहादत स्वीकार की। उनके सपनों को ध्यान में रखते हुए, और जब 15 अगस्त सामने है तब सदन का सर्वाधिक सकारात्मक उपयोग हो। यही मेरी सबसे प्रार्थना है।
आप सबका भी बहुत-बहुत धन्यवाद।