नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालय को हिंसा और वैचारिक लड़ाई का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने छात्रों को विश्वविद्यालयों में विमर्श और चर्चा पर जोर देने की सलाह देते हुए कहा कि विश्विद्यालय तो विचार-विमर्श की जगह है।
केंद्रीय मंत्री शाह यहां ‘स्वराज से नव-भारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
2014 से पहले देश में कोई स्पष्ट रक्षा नीति नहीं होने का दावा करते हुए शाह ने कहा कि सर्जिकल और एयर स्ट्राइक ने भारत की स्थिति को मजबूत किया। सेना और सीमा से छेड़खानी करने वालों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि जहां पहले केवल अमेरिका और इजरायल को अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए जाना जाता था आज भारत तीसरा देश बन गया जो अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए तत्पर है।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आज देश में लागू हो गई है जो निश्चित रूप से देश की शिक्षा को उज्ज्वल भविष्य प्रदान करेगी। उन्होंने नई शिक्षा नीति भविष्य के भारत का उज्जवल दस्तावेज बताया। अमित शाह ने नई शिक्षा नीति प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह छात्रों के साथ साथ देश के विकास में सहायक होगी।
उन्होंने कहा कि छात्रों को विश्व की सभी भाषाओं को जानने का अधिकार है, लेकिन अपनी मातृ भाषा को भी जानने का अधिकार है। यह काम नई शिक्षा नीति करेगी।