भारत के राष्ट्रपति अप्रैल, 2022 के पहले सप्ताह में नीदरलैंड का दौरा कर रहे हैं। नीदरलैंड नाम आते ही मस्तिष्क में सबसे पहला नाम ट्यूलिप का आता है। खासकर जब हम जब हम ट्यूलिप सीजन में हैं जो मार्च के अंत से मई के मध्य तक चलता है। इस अवधि के दौरान ट्यूलिप देश के बड़े हिस्से को रंग बिरंगे फूलों की रजाई में बदल देते हैं। वसंत ऋतु में क्युकेनहॉफ उद्यान में दुनिया की सबसे बड़ी फूलों की प्रदर्शनी लगती है, जिसमें 7 मिलियन से अधिक फूलों के बल्ब खिलते हैं। एम्स्टर्डम से 30 मिनट की ड्राइव पर पड़ने वाला क्युकेनहॉफ दुनिया का सबसे खूबसूरत स्प्रिंग गार्डन है, जहां पहुंचने पर सिर्फ बाहर ही फूल नहीं दिखते, बल्कि खुद के अंदर भी फूल खिल जाते हैं।
ठंडी रातों के साथ वसंत का लंबा मौसम नीदरलैंड को ट्यूलिप उगाने के लिए एक आदर्श भूमि बनाता है। ट्यूलिप का अर्थ आम तौर पर पूर्ण प्रेम होता है। इसके अलग-अलग रंग भी अपना महत्व रखते हैं: लाल ट्यूलिप को सच्चे प्यार की निशानी माना जाता है, जबकि बैंगनी रॉयल्टी का प्रतीक है। वास्तव में, नीदरलैंड में 15 जनवरी को राष्ट्रीय ट्यूलिप दिवस मनाया जाता है, जब ग्रीनहाउस में उगाए गए ताजे ट्यूलिप हॉलैंड की हर फूल की दुकानों में बिक्री के लिए आते हैं। कहा जाता है कि इन फूलों को 16 वीं शताब्दी के अंत में वियना के एक जीवविज्ञानी कैरोलस क्लॉसियस द्वारा देश में लाया गया था।
मुझे 2002 में ब्रुसेल्स की अपनी तैनाती के दौरान क्युकेनहॉफ जाने का अवसर मिला। ट्यूलिप को लेकर मेरे मन में प्रेम तब और बढ़ गया जब मेरी पोस्टिंग ओटावा (कनाडा की राजधानी) में हुई। जहां कनाडा की सेना को कृतज्ञता जताने के लिए नीदरलैंड हर साल 10,000 ट्यूलिप के फूल कनाडा को भेंट करता है, क्योंकि कनाडा की सेना ने ही द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हॉलैंड को नाजियों से मुक्त कराया था। यही नहीं ओटावा ने पांच साल के नाजी कब्जे के दौरान डच शाही परिवार की भी मेजबानी की थी।
भारत-डच संबंध 400 वर्षों से अधिक वर्षों से पुराने हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच आधिकारिक संबंध 1947 में स्थापित किए गए थे। भारत का आर्थिक विकास, बड़ा बाजार और इसके जानकार और कुशल श्रमिकों में नीदरलैंड की विशेष रुचि है। दोनों देश लोकतंत्र, बहुलवाद और कानून के शासन के समान आदर्शों को भी साझा करते हैं। इसके साथ ही भारत-नीदरलैंड अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ते आधिकारिक और वाणिज्यिक संबंधों द्वारा प्रदर्शित करते हैं। नीदरलैंड यूरोप में दूसरे सबसे बड़े भारतीय प्रवासी (यूके के बाद) की मेजबानी करता है और 3000 छात्रों को अगर इसमें शामिल कर लिया जाए तो यूरोप में सबसे बड़ा प्रवासी भारतीय समुदाय इसी भूमि पर रहता है।
इस वर्ष भारत और नीदरलैंड राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में और इस अवसर को खास बनाने के लिए एक विशेष लोगो का अनावरण किया गया है। दोनों देशों के संबंध को इस तरह से भी देख सकते हैं कि नीदरलैंड, भारत की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। यही नहीं भारत में जहां डच निवेश हैं, वहीं नीदरलैंड में भारतीय कंपनियां स्थापित हैं।
मजबूत राजनीतिक, आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों का उत्सव मनाने के लिए दोनों देशों ने इस साल पानी, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, नवाचार, ऊर्जा, जलवायु, स्मार्ट सिटी, शहरी गतिशीलता और संस्कृति सहित सहयोग के व्यापक क्षेत्रों में कई कार्यक्रमों और गतिविधियों की योजना बनाई है। दोस्ती के प्रतीक के रूप में नीदरलैंड ने भारत को 3000 ताजा ट्यूलिप भेंट किए हैं जो जवाहरलाल नेहरू भवन में विदेश मंत्रालय में लगाए गए हैं।
भारत नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंधों का मूल, व्यापार और व्यावसायिक सहयोग है। भारत में डच निवेश कुल 36.28 अरब अमेरिकी डॉलर है, जो चौथे स्थान पर है। दोनों देशों के बीच 2020-21 में द्विपक्षीय व्यापार 6.5 बिलियन डॉलर था। भारत में 200 से अधिक डच कंपनियां मौजूद हैं और सभी प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियों सहित नीदरलैंड में भी समान संख्या में भारतीय कंपनियां हैं।
अन्य बातों के अलावा, भारत को डच की जल विशेषज्ञता का लाभ भी प्राप्त हो रहा है जिसे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। डचों को बाढ़ नियंत्रण, जल वितरण और वाटर ट्रीटमेंट की कला में कई दशकों से महारत हासिल है। जल प्रौद्योगिकी, समुद्री प्रौद्योगिकी और डेल्टा प्रौद्योगिकी ये तीनों जल के क्षेत्र की मुख्य विधाएं हैं। पानी से संबंधित चुनौतियों के समाधान की पहचान करने के लिए दोनों देशों के बीच डच इंडो वाटर 3 एलायंस लीडरशिप इनिशिएटिव (दिवाली) नामक एक कार्यक्रम बनाया गया है। इसके अनुसार, दोनों देश भारत के जल जीवन मिशन सहित दुनिया भर के जल सुरक्षा पहलों के आधार पर वैश्विक जल समझौते की रूपरेखा तैयार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य सभी तक पीने का पानी पहुंचाना है। जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल के क्षेत्र में भारत के द्वारा किए जा रहे कार्यों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में दोहराया जा सकता है। 2023 में संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में वैश्विक जल समझौते पर चर्चा की जाएगी जो स्थायी जल प्रबंधन पर कार्य करने का एजेंडा निर्धारित करेगा। कोविड महामारी के संदर्भ में जल सुरक्षा पर भी ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
कृषि डच अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। नीदरलैंड कृषि में अपने ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है, जो कुशल, टिकाऊ उत्पादन प्रणाली और प्रक्रियाओं में सबसे आगे है। एक उभरते बाजार के रूप में भारत के महत्व को महसूस करते हुए, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई आकृति प्रदान करेगा, नीदरलैंड भारत को विश्व का खाद्य कारखाना बनने के लिए व्यापार संबंधी तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है। नीदरलैंड के पास उत्कृष्ट लॉजिस्टिक्स और कोल्ड हाउस चेन द्वारा भारत की उत्पादन क्षमता को दुनिया भर के उपभोक्ताओं से जोड़ने की शक्ति है। नीदरलैंड कृषि उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, जो सालाना 100 अरब अमेरिकी डॉलर का है। यही नहीं बाजार तक पहुंच के लिए आपूर्ति श्रृंखला, भोजन एवं फूलों के प्रबंधन में भी नीदरलैंड को व्यापक अनुभव है, जो एक कुशल और टिकाऊ तरीके से भोजन का उत्पादन करने में मदद कर सकता है। बंगलौर में, विशेष रूप से, कई प्रशिक्षण संस्थानों में डच विशेषज्ञ मौजूद हैं, जो जलवायु परिवर्तन के आलोक में कृषि को अधिक लचीला बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। ये प्रशिक्षक जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर कृषि की नवीनतम पद्धतियों को बारे में जानकारी दे रहे हैं कि कैसे हम कम लागत और कम हानि में अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
राष्ट्रपति कोविंद की 4-7 अप्रैल की नीदरलैंड की राजकीय यात्रा अप्रैल 2021 में प्रधानमंत्री स्तर पर आयोजित आभासी शिखर सम्मेलन के एक साल बाद हो रही है। नीदरलैंड भारत में निवेश करने वाले शीर्ष 5 निवेशकों में से एक है, जिसे भारत के विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में बड़े अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया गया है। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान, इंडो-पैसिफिक, समुद्री सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाने और जलवायु कार्रवाई में भी साझा चिंताओं को व्यक्त किया है। भारत और नीदरलैंड यूरोपीय संघ के संवाद ढांचे, संयुक्त राष्ट्र और जी 20 सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से भी सहयोग करते रहते हैं, जिसकी भारत अगले साल मेजबानी करने के लिए तैयार है। आगामी आधिकारिक वार्ता के दौरान यूक्रेन का जिक्र आना भी तय है।
नोट: नीदरलैंड, हॉलैंड और डच का परस्पर उपयोग किया जाता है।
लेख_ नरिंदर चौहान
(लेखक पूर्व भारतीय राजदूत हैं)