लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि पहले कि सरकारों ने प्रदेश के परंपरागत उद्योगों की अनदेखी कर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया था। स्थिति यह बन गयी की जिन सीटों से समाजवादी पार्टी के मुखिया और उनके परिवार के लोग सांसद और विधायक चुने जाते थे और सत्ता पर काबिज होते थे वहां के भी परंपरागत उद्योग बर्बादी की कगार पर आ गये थे। कन्नौज का विश्व प्रसिद्ध इत्र इसका एक बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद परमपरागत उद्योगों को दोबारा जीवित करने का काम शुरू हुआ और आज स्थिति यह है कि प्रदेश के निर्यात में 80 प्रतिशत योगदान परंपरागत उत्पादों का है।
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर “फर्क साफ है” कार्यक्रम के तहत पत्रकारों से वार्ता करते हुए श्री सिंह ने कहा कि 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनती है तब इस बात पर विचार किया जाता है कि ग्राम स्वराज की परिकल्पना में ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसी हो और समकालीन आर्थिक मॉडल कैसा होना चाहिए। इस पर भाजपा सरकार ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम किया और एक नीति बनाई। जब हमने ग्राम स्वराज और आर्थिक मॉडल का संगम किया तब उसमें से योगी आर्थिक मॉडल निकलकर सामने आया। इसी योगी मॉडल का नतीजा है कि जब हम सत्ता में आये थे तब उस समय बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत थी जो आज 2021 में घटकर 5 फीसदी रह गयी है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों पर ध्यान देना शुरू किया। हमने एक जनपद एक उत्पाद योजना शुरू की और आज हमें बताते हुए खुशी हो रही है कि इस ओडीओपी योजना की चर्चा सिर्फ देश में ही नही पूरे विश्व में हो रही है। 2017 में जो निर्यात 88 हजार 967 करोड़ रुपये था वो 2019-20 में बढ़कर 1 लाख 20 हजार 367 करोड़ का हो गया।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि ओडीओपी के तहत हमने परंपरागत उद्योगों से जुड़े कारीगरों को न सिर्फ प्रशिक्षण दिलवाया बल्कि उनके उत्पादों की पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने के साथ ही उनको बाजार भी उपलब्ध कराया। आज हमारे ओडीओपी उत्पादों की पूरे विश्व में जबरदस्त मांग है। हमारे निर्यात में 80 प्रतिशत योगदान ओडीओपी उत्पादों का है।
श्री सिंह ने कहा कि सपा-बसपा की सरकारों ने भाषण तो बहुत दिये लेकिन प्रदेश के युवाओं को नौकरियां कैसे मिले, उनका रोजगार कैसा हो इसके बारे में कभी कोई चिंता नहीं की। भाजपा सरकार ने पिछले साढे 4 साल के अंदर मुद्रा योजना के तहत ढाई लाख करोड़ का ऋण दिया गया है जिससे रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए और लगभग 2.6 करोड़ युवाओं को रोजगार मिला। हमने पांच लाख युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने में मदद की। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए योजनाएं लाएए जिसमें सिलाईए बेकरी के काम के लिएए सैलून के काम के लिएए अचार पापड़ बनाने का अन्य योजनाओं को समूह के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। अनुसूचित जनजाति की बात की जाती है मगर वह उद्यमी बने उसकी कोई चिंता नहीं की गई। हमने चिंता ही नहीं करीए हमने उन लोगों के लिए योजनाओं के माध्यम से उसको जमीन पर उतारा। युवाओं को किस प्रकार नीतिगत मदद की जा सकती है वह हम लोगों ने करके दिखाया है। यही फर्क है समाजवादी पार्टी सरकार जिसकी साईकिल की हवा निकल चुकी है और आज भारतीय जनता पार्टी युवाओं व महिलाओं ने जो ताकत दी है उसके आधार पर फिर से उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है।