जयपुर। राजस्थान में दो विधानसभा सीट वल्लभनगर और धरियावद में उपचुनाव में एक बार फिर सत्ताधारी दल कांग्रेस के सर पर जीत का सेहरा बंधेगा या फिर विपक्षी दल भाजपा या अन्य कोई चुनाव जीतेगा, यह अब से कुछ घंटों में साफ हो जाएगा। साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि कांग्रेस का वल्लभनगर में प्रीति शक्तावत के ऊपर खेला हुआ सहानुभूति कार्ड और बार-बार हारने के बावजूद धरियावद से नगराज मीणा को टिकट देने का फैसला सही साबित होता है या गलत।
सुबह 8 बजे से दोनों विधानसभा सीट पर मतगणना शुरू हो चुकी है और रूझान आने शुरू हो गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हो या फिर कांग्रेस के अन्य नेता उपचुनाव में अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। इन दावों की हकीकत भी यही है कि चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में कांग्रेस उपचुनावों में भाजपा से आगे रही है। कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए इस बार 6 में 4 और विपक्ष में रहते हुए 8 में 6 उपचुनाव जीते थे। कांग्रेस पार्टी का उपचुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन रहा है, चाहे इस बार कांग्रेस सत्ताधारी दल हो या फिर 2013 में केवल 21 सीट जीतने वाला छोटा सा विपक्ष, लेकिन कांग्रेस पार्टी को उपचुनाव में जबरदस्त सफलता मिलती रही है। इस बार कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में है तो अब तक 5 उपचुनाव और एक रामगढ़ विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव के बाद चुनाव हुए। इन छह चुनाव में से 4 सीट पर कांग्रेस, एक विधानसभा सीट पर आरएलपी और एक विधानसभा सीट पर भाजपा ने उपचुनाव में जीत दर्ज की। इसी तरीके से साल 2013 में जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतरीन रहा था। साल 2013 से 2018 के बीच राजस्थान में 6 विधानसभा सीटों और दो लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिनमें से कांग्रेस पार्टी ने 4 विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव जीते।
कांग्रेस सरकार में ये रहे नतीजे
खींवसर से आरएलपी से विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर के सांसद बने तो उपचुनाव में आरएलपी के नारायण बेनीवाल ने चुनाव जीता। मंडावा से भाजपा विधायक नरेंद्र कुमार सांसद बने तो मंडावा से कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट छीन ली। इस सीट पर कांग्रेस की रीटा चौधरी विधायक बनीं। सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन होने पर कांग्रेस से गायत्री देवी ने चुनाव जीता। इसी तरह सुजानगढ़ से मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन होने पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे मनोज मेघवाल ने चुनाव जीता। राजसमंद से भाजपा की किरण माहेश्वरी के निधन पर उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी ने भाजपा के लिए चुनाव जीता। वहीं, अलवर के रामगढ़ में उपचुनाव नहीं हुए बल्कि विधानसभा चुनाव में ही बसपा के प्रत्याशी के निधन के चलते विधानसभा चुनाव के बाद चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस की साफिया जुबेर ने चुनाव जीता। इस तरह कांग्रेस ने इस बार सत्ता में रहते हुए पांच उपचुनाव में से तीन उपचुनाव जीते हैं, तो एक रामगढ़ का चुनाव जो विधानसभा चुनाव के बाद हुआ उसमें भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसी तरीके से भाजपा ने एक और आरएलपी ने एक उपचुनाव जीता है।
विपक्ष में रहते भी था बेहतरीन प्रदर्शन
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय कांग्रेस के महज 21 विधायक थे, लेकिन विपक्ष में रहते हुए भी उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतरीन रहा था। साल 2013 से 2018 तक हुए उपचुनावों की बात करें तो कोटा से ओम बिरला सांसद बने तो उनकी विधानसभा सीट कोटा दक्षिण से भाजपा के ही संदीप शर्मा ने चुनाव जीता। अजमेर लोकसभा से जब सांवरलाल जाट सांसद बने तो नसीराबाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के महेंद्र गुर्जर चुनाव जीते। झुंझुनूं से संतोष अहलावत सांसद बनीं तो उनकी विधानसभा सीट सूरजगढ़ से कांग्रेस के श्रवण कुमार विधायक बने। भरतपुर से बहादुर सिंह कोली सांसद बने तो उनकी विधानसभा सीट वैर से कांग्रेस के भजन लाल जाटव ने चुनाव जीता। इसी तरह भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के चलते हुए उपचुनाव में मांडलगढ़ से कांग्रेस के विवेक धाकड़ चुनाव जीते। धौलपुर से बसपा विधायक के जेल जाने पर हुए उपचुनाव में भाजपा की शोभारानी विधायक बनीं। अजमेर सांसद सांवरलाल जाट के निधन के चलते अजमेर में उपचुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा सांसद बने, जबकि अलवर सांसद महंत चांद नाथ के निधन के बाद आए उपचुनाव में कांग्रेसी करण सिंह यादव सांसद बने। ऐसे में कांग्रेस पार्टी जब विपक्ष में थी तो 5 साल में 8 उपचुनाव हुए और उन 8 उपचुनाव में से 6 उपचुनाव कांग्रेस पार्टी ने जीते, जबकि दो उपचुनाव भाजपा ने जीते।