उप्र की अर्थव्यवस्था में गन्ने की खेती एवं गुड़-चीनी उद्योग का विशेष महत्व : राज्यपाल

कानपुर। दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया एवं राष्ट्रीय शर्करा संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 79वां वार्षिक अधिवेशन एवं इण्टरनेशनल एक्सपो का आज शुभारम्भ हुआ। अधिवेशन में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से 06 हजार से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने ऑनलाइन माध्यम से किया।

उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश में गन्ने का क्षेत्रफल पूरे देश का लगभग 50 प्रतिशत तथा गन्ना उत्पादन में 45 प्रतिशत है। इसलिए गन्ने की फसल हमारे उत्तर प्रदेश के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में गन्ने की खेती एवं गुड़-चीनी उद्योग का विशेष महत्व है। किसानों के लिए अतिरिक्त चीनी मिलों में लगे मजदूरों तथा गुड़ एवं खाण्डसारी के कारोबार में व्यापारियों की जीविका गन्ने की खेती पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है। इसी प्रकार अल्कोहल तथा उस पर आधारित अनेक उद्योग भी गन्ने की फसल पर ही चलते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि गन्ने की अच्छी पैदावार के लिये रोग रहित, स्वस्थ्य एवं विकसित उन्नतिशील प्रजातियों के गन्ना बीजों और उर्वरकों का संतुलित एवं समुचित प्रयोग आवश्यक है। इसके साथ ही नई तथा अधिक शर्करा देने वाली गन्ना प्रजातियों के बीज का विस्तार तथा गन्ना शोध कार्यक्रमों के अन्तर्गत शर्करा परीक्षण की उचित व्यवस्था भी की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश में चीनी, गन्ना और इंथेनॉल के क्षेत्र में सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। उत्तर प्रदेश नये चीनी संयंत्रों और डिस्टिलरीज की स्थापना, पुरानी चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने और उनका पुनर्वास करने, आधुनिक तकनीकों को अपनाने तथा सल्फर रहित चीनी का उत्पादन करने में भी सबसे आगे है। चीनी उद्योग के सतत् विकास के लिये कारखानों में प्रौद्योगिकी की भूमिका महत्वपूर्ण है।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के मध्यम और छोटे किसानों को प्राथमिकता दी है और कृषि सुधार के क्षेत्र में अनेक ठोस निर्णय लिये हैं। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना, एम0एस0पी0 बढ़ाने, किसान क्रेडिट कार्ड, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने, किसान सम्मान निधि, किसान उत्पादक संगठन, स्वामित्व योजना तथा उपज की खरीद प्रक्रिया में सुधार आदि देश के छोटे किसान की ताकत को बढ़ाने वाले निर्णय हैं। केन्द्र और राज्य सरकार किसानों को हर संसाधन और बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही हैं।

कार्यक्रम में भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सचिव सुधांशु पाण्डे ने ऑनलाइन संबोधन करते हुये राष्ट्रीय शर्करा संस्थान को उसके स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए चीनी उद्योग का आह्वान किया कि वह अपनी समस्याओं के लिए संस्थान के साथ मिलकर कार्य करें। चीनी की मांग और आपूर्ति के संतुलन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीनी मिलों को विभिन्न माध्यमों से चीनी के स्थान पर एथेनॉल बनाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि न केवल चीनी की मांग व आपूर्ति में संतुलन बना रहे अपितु एथेनॉल की पेट्रोल में 20 प्रतिशत की ब्लेंडिंग के लक्ष्य को 2025 तक प्राप्त किया जा सके। हमको चीनी मिलों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये पूरी “शुगरकेन वैल्यू चेन” का उपयोग कर “वैल्यू एडेड प्रोडक्ट” बनाकर अपनी आय को बढ़ाने के लिये करना होगा, उन्होंने कहा।

दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष संजय अवस्थी ने बताया कि विश्व बाजार में 2021-22 में चीनी की उपलब्धता जो कि ब्राजील में 70-80 लाख टन चीनी कम होने के कारण कम होगी। इसका लाभ उठाकर निर्यात करने पर जोर दिया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक नरेंद्र मोहन ने संस्थान के विभिन्न क्रियाकलापों के बारे में बताते हुए सम्पूर्ण चीनी उद्योग को तकनीकी मानव शक्ति प्रदान किये जाने के बारे में जानकारी दी। अपने सम्बोधन में एथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के लिए विभिन्न माध्यमों से एथेनॉल की उपलब्धता बढ़ाए जाने के बारे में एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए उन्होंने शर्करा उद्योग को आगाह किया कि वह कच्चे माल की उपलब्धता और भारत सरकार का “गा इलेक्ट्रिक पॉलिसी” को ध्यान में रखें जिसके अनुसार वर्ष 2030 तक पारंपरिक वाहन इलेक्ट्रिक वाहन में परिवर्तित किये जाने की योजना है।

अधिवेशन के प्रथम दिन अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी द्वारा प्रोफेसर एस.एन.गुण्डूराव मेमोरियल व्याख्यान दिया गया जहां उन्होंने चीनी उद्योगों को एक लाभप्रद उद्योग में बदलने के लिए गन्ने की प्रजातियों में सुधार एवं बायो फ्यूल (जैव ईंधन) के उत्पादन पर जोर दिया। मेसर्स रीग्रीन एक्सेल ई.पी.सी. इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड प्रबंध निदेशक संजय देसाई एवं इस्जैक टेक्निकल हेड किरन डंगवाल द्वारा एथेनॉल प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए विभिन्न रणनीति पर अपना प्रेजेनटेशन दिया गया।

उद्घाटन सत्र में दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के विभिन्न प्रकाशन, यथा अधिवेशन की कार्यवाही, भारत एवं पड़ोसी राष्ट्रों में स्थित चीनी मिलों एवं डिस्टलरी की डायरेक्टरी एवं सोविनियर जारी की गयी। चूंकि 04 अक्टूबर को संस्थान का स्थापना दिवस भी है अतः इस अवसर पर संस्थान की वर्ष 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट एवं डाक्यूमेन्टरी ‘ए ड्राइव थ्रू एन.एस.आई. कैम्पस’ जारी की गयी। इस अवसर पर विभिन्न प्रतिष्ठित विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को विभिन्न अवार्ड से सम्मानित किया गया जिसमें मनीषभाई कल्याणजी पटेल, राघवन-गोविन्द सुघर, निधीश प्रकाश, जाधव जयकुमार टटोबा, जे0पी0 श्रीवास्तव आदि लोगो को लाइफ टाइम एचीवमेन्ट आवार्ड से सम्मानित किया गया।

इससे पूर्व राज्यपाल द्वारा समारोह का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के इक्साइज चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास के अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक नरेन्द्र मोहन एवं दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इण्डिया अध्यक्ष संजय अवस्थी की उपस्थित में किया।

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