काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने और 30 अगस्त की रात तक अमेरिका के देश छोड़कर जाने के बाद बहुत कुछ बदल चुका है। अफगानिस्तान के जो लोग विकास और खुशहाली के सपने देखते थे अब वहां सिर्फ बर्बादी और तबाही के निशान दिख रहे हैं। आलम ये है कि तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान धीरे-धीरे भुखमरी की तरफ बढ़ने लगा है। एक महीने बाद हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान में इस महीने के बाद जबरदस्त भुखमरी की स्थिति आ सकती है। यूएन अधिकारी ने कहा कि जिस तरह की चुनौतियों से अभी अफगानिस्तान गुजर रहा है उससे वहां खाने की किल्लत पैदा हो सकती है।
स्थानीय मानवीय समन्वयक रमीज़ अलाकबारोव ने कहा कि देश की एक तिहाई आबादी आपातकालीन स्थिति का सामना कर रही है या फिर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है। सर्दी का मौसम आ रहा है और देश सूखे का सामना कर रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान को काफी पैसों की जरूरत पड़ेगी ताकि लोगों को यहां भुखमरी से बचाया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत पिछले कुछ हफ्तों में यहां हजारों के बीच खाने का सामान वितरित किया गया है लेकिन अभी भी यहां की एक बड़ी आबादी के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है।
रमीज़ अलाकबारोव ने कहा कि तेजी से सर्दी का मौसम करीब आ रहा है। ऐसे में अगर अफगानिस्तान को और भी ज्यादा फंड नहीं दिया गया तब यहां खाद्य भंडारण सितंबर के अंत तक खत्म हो सकता है।
खाने की समस्या के अलावा चिंता की बात यह भी है कि यहां सरकारी कर्मचारियों को पेमेंट भी नहीं मिल रहा और देश की करेंसी की कीमत भी काफी निचले स्तर पर पहुंच गई है। कुछ दिनों पहले रोम स्थिति वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 39 मिलियन लोगों वाले इस देश के 14 मिलियन लोगों के सामने खाने का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। अफगानिस्तान में तीन सालों में यह दूसरी बार सूखे जैसे हालात हैं। तालिबान के कब्जे से पहले भी सूखे जैसे हालात थे। डब्ल्यूपीएफ के आंकड़ों के मुताबिक अफगानिस्तान में लगभग 2 मिलियन बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।