ढाका। बांग्लादेश के साथ वाणिज्यिक संबंधों को गति देने के लिए भारत दोनों देशों के बीच नौ परिवहन बढ़ाने पर जोर दे रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि समुद्र और नदी पथ के जरिये माल परिवहन की लागत अपेक्षाकृत कम आती है। हालांकि बांग्लादेश की अफसरशाही मेंं व्याप्त भारत विरोधी सोच की वजह से इस प्रयास को गति नहीं मिल पा रही है।
बांग्लादेश के उदासीन रवैये के कारणों की व्याख्या करते हुए नदी शोधकर्ता एवं बांग्लादेश पर्यावरण आंदोलन के महासचिव मिहिर विश्वास ने बताया कि बांग्लादेश अंतरदेशीय जल परिवहन प्राधिकरण के ड्रेजिंग विभाग (बीआईडब्ल्यूटीए) के अधिकारी भारत विरोधी भावनाओं के कारण बाधाएं पैदा कर रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक अगर भारत और बांग्लादेश के बीच शिपिंग बढ़ती है, तो बांग्लादेश को अंततः फायदा ही होगा।
बांग्लादेश जहाजरानी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भारत को बांग्लादेश में शिपिंग के लिए हर साल 10 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता था। हालांकि, बीआईडब्ल्यूटीए का ड्रेजिंग विभाग वर्तमान में भारत के साथ समुद्री परिवहन के नाम पर कई ड्रेजिंग प्रोजेक्ट चला रहा है, जिसका 80 फीसदी भारत को वहन करना होता है। पिछले दिनों 95 करोड़ रुपये की लागत से एक परियोजना शुरू की गई थी, जिसमें कुशियारा नदी के माध्यम से बांग्लादेश में जकीगंज के माध्यम से असम के करीमगंज तक माल परिवहन के लिए 2.5 मीटर की गहराई बनाए रखी गई थी। पहले चरण में दो साल के लिए कैपिटल ड्रेजिंग और पांच साल तक समान गहराई बनाए रखने के लिए सालभर मेंटेनेंस किया जाएगा। इस संदर्भ में बांग्लादेश से भारत में असम और त्रिपुरा को सीमेंट निर्यात करने वाली प्रीमियर सीमेंट कंपनी के प्रवक्ता मोहम्मद सलाउद्दीन ने कहा कि कैपिटल ड्रेजिंग के बाद 3 नवंबर, 2020 को मार्ग का उद्घाटन किया गया था। लेकिन अब यह गहराई कम हो गई है इसलिए, जहाज बारिश के अलावा दूसरे मौसम में परिवहन नहीं कर सकेंगे।
इसी तरह, बांग्लादेश के जहाजरानी मंत्रालय ने 185 करोड़ रुपये की लागत से एक परियोजना शुरू की थी। इसके तहत यमुना नदी के रास्ते से होते हुए बांग्लादेश के सिराजगंज से असम के देखावा स्टेशन तक नदी में ढाई मीटर की गहराई बनाए रखनी थी। समझौते के अनुसार बांग्लादेश को प्रत्येक परियोजना की लागत का 20 प्रतिशत भुगतान करना होगा। यह काम बांग्लादेश अंतर्देशीय जल परिवहन प्राधिकरण कर रहा है।
बांग्लादेश के के वरिष्ठ पत्रकार अब्दुर रहमान ने कहा कि गुमटी में कई बिंदुओं पर ड्रेजिंग और मानसून के मौसम के दौरान नौगम्यता बनाए रखने से त्रिपुरा में सोनमुरा तक बहुत कम लागत पर माल परिवहन करना संभव हो जाएगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच जीरो लाइन के साथ ड्रेजिंग अच्छी तरह से की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा करने के बजाय, बांग्लादेश के जहाजरानी मंत्री खालिद महमूद चौधरी की सलाह पर गुमटी नदी में ड्रेजिंग के लिए 267 मिलियन रुपये की परियोजना शुरू की गई है।
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि भारत की सेवन सिस्टर्स (पूर्वोत्तर के सात राज्यों) में आयात होने वाले लगभग 90 फीसदी उत्पाद बांग्लादेश में आता हैं जबकि 10 फीसदी उत्पाद सेवन सिस्टर्स से बांग्लादेश निर्यात होता है। बांग्लादेश में ब्राह्मणबरिया से अगरतला तक की सड़क भी भारतीय पैसे से बनाई गई है। इसी तरह, पद्मा नदी के रास्ते बांग्लादेश के सुल्तानगंज होते हुए पश्चिम बंगाल के मालदा में माया घाट तक पहुंचने के लिए एक और महंगी ड्रेजिंग परियोजना में भारत को फंसाने की कोशिश की जा रही है।
कोमिला में बिबीरबाजार लैंड पोर्ट कस्टम स्टेशन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस बंदरगाह से कुल 99 करोड़ 79 लाख 56 हजार 452 टाका (बांग्लादेश की मुद्रा) का बांग्लादेशी सामान भारत को निर्यात किया गया है। भारत से आयातित माल पर 1.49 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया गया है। हालांकि, बांग्लादेश के जहाजरानी राज्य मंत्री खालिद महमूद चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ समुद्री संपर्क बढ़ाने का इच्छुक है।